अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump द्वारा भारतीय उत्पादों पर लगाए गए ऊंचे टैरिफ का असर अब पहले जैसा नहीं दिख रहा है। भारत ने अपनी एक्सपोर्ट रणनीति (Export Strategy) में बड़ा बदलाव करते हुए अमेरिकी बाजार पर निर्भरता घटा दी है। अब भारत के उत्पाद कई नए देशों में अपनी जगह बना रहे हैं और यही वजह है कि देश का कुल निर्यात लगातार बढ़ रहा है।
भारत ने बदला एक्सपोर्ट का रास्ता
अगस्त में अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 25 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी तक टैरिफ लगा दिया था। उस वक्त यह माना जा रहा था कि भारत का एक्सपोर्ट बुरी तरह प्रभावित होगा। लेकिन हुआ इसका उल्टा, भारत ने तेजी से अपनी रणनीति बदली और नए बाजारों में एक्सपोर्ट का फोकस बढ़ाया।
सितंबर में भारत का कुल मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट 6.7 प्रतिशत बढ़कर 36.38 अरब डॉलर तक पहुंच गया। हालांकि अमेरिका को भेजा गया निर्यात करीब 12 प्रतिशत घटा, लेकिन कुल मिलाकर भारत के एक्सपोर्ट की रफ्तार थमी नहीं। यह दिखाता है कि भारत की डाइवर्सिफिकेशन पॉलिसी अब जमीनी स्तर पर असर दिखा रही है।
नए बाजारों में बढ़ा भारत का दबदबा
अमेरिकी टैरिफ के बावजूद, भारत ने अपने प्रमुख उत्पादों के लिए नए गंतव्य ढूंढ निकाले। उदाहरण के तौर पर, समुद्री उत्पादों का निर्यात अमेरिका में 27 फीसदी घटा, लेकिन चीन, वियतनाम और थाईलैंड को इनकी बिक्री में 60 फीसदी से ज़्यादा की वृद्धि दर्ज की गई। इसी तरह, कॉटन गारमेंट्स, बासमती चावल, चाय, कालीन और चमड़े के उत्पाद अमेरिका में कम बिके, पर दूसरी तरफ UAE, फ्रांस, जापान और जर्मनी जैसे देशों में इनकी मांग तेजी से बढ़ी है। भारत ने यह दिखा दिया है कि वह सिर्फ एक या दो देशों पर निर्भर रहने वाला निर्यातक नहीं है, बल्कि ग्लोबल ट्रेड नेटवर्क में अपनी जगह बनाने के लिए तैयार है।
UAE और जापान बने भारत के नए एक्सपोर्ट सेंटर
भारत के टेक्सटाइल और रेडीमेड गारमेंट सेक्टर में अब UAE, जापान और फ्रांस सबसे बड़े खरीदार बनकर उभरे हैं। वहीं, ईरान को बासमती चावल का निर्यात छह गुना बढ़ गया है। चाय की बिक्री में जहां अमेरिका में गिरावट दर्ज हुई, वहीं UAE, जर्मनी और इराक में भारतीय चाय की मांग तेजी से बढ़ रही है। यह संकेत है कि भारतीय ब्रांड्स अब दुनिया के हर कोने में अपनी जगह बना रहे हैं।
सरकार की नई ग्लोबल ड्राइव
भारत सरकार ने हाल ही में एक ग्लोबल एक्सपोर्ट डाइवर्सिफिकेशन ड्राइव शुरू की है। इसके तहत यूरोप, एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के 40 प्रमुख देशों की पहचान की गई है, जहां भारत अपने प्रमुख उत्पादों जैसे टेक्सटाइल, हैंडीक्राफ्ट, ऑटो कंपोनेंट्स और टेक्निकल फैब्रिक्स – को बढ़ावा दे रहा है। सरकार का लक्ष्य है कि 2026 तक भारत का एक्सपोर्ट नेटवर्क ज्यादा स्थिर, विविध और आत्मनिर्भर बन सके।
एक्सपर्ट्स की राय
ट्रेड एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह रणनीति भारत को लंबे समय में फायदा पहुंचा सकती है। अमेरिका जैसे बाजार में टैरिफ और राजनीतिक अस्थिरता से बचने के लिए भारत को “मल्टी-मार्केट एप्रोच” अपनाना ही होगा। हालांकि, चीन और वियतनाम जैसे देशों से सस्ती प्रतिस्पर्धा भारत के लिए अभी भी चुनौती बनी हुई है। इन देशों के पास न केवल सस्ता श्रम है, बल्कि उत्पादन की लागत भी कम है। बावजूद इसके, भारत की गुणवत्ता, उत्पादन क्षमता और भरोसेमंद सप्लाई चेन उसे आगे बढ़ा रही है।
भारत बन रहा ग्लोबल एक्सपोर्टर
भारत की यह नई रणनीति व्यापारिक होने के साथ रणनीतिक भी है। यह दिखाती है कि देश अब किसी एक बड़े देश पर निर्भर नहीं रहना चाहता, बल्कि अपने एक्सपोर्ट को विविध देशों और क्षेत्रों में फैलाकर स्थायित्व चाहता है। एक्सपोर्ट इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि आने वाले महीनों में भारत के टेक्सटाइल, एग्रीकल्चर और मरीन प्रोडक्ट्स की मांग और बढ़ेगी। अगर यही रफ्तार बनी रही, तो भारत आने वाले कुछ वर्षों में एक ग्लोबल एक्सपोर्ट पावरहाउस बन सकता है।
अमेरिकी टैरिफ ने जहां शुरुआत में भारत के एक्सपोर्ट को चुनौती दी थी, वहीं अब यह भारतीय रणनीति की जीत बन चुकी है। भारत ने साबित कर दिया है कि अगर दिशा सही हो, तो दबाव भी अवसर में बदला जा सकता है और यही भारत के नए व्यापारिक युग शुरुआत है।