अमेरिका और BRICS देशों के बीच तनाव एक बार फिर सुर्खियों में है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व ट्रेड सलाहकार पीटर नवारो ने एक टीवी इंटरव्यू के दौरान भारत समेत BRICS देशों पर तीखा हमला बोला है। नवारो ने BRICS को वैम्पायर बताते हुए आरोप लगाया कि ये देश अमेरिका का आर्थिक खून चूस रहे हैं। उन्होंने न केवल BRICS की एकजुटता पर सवाल उठाए, बल्कि भारत की रूस से बढ़ती तेल खरीद, चीन के साथ तनावपूर्ण रिश्तों और व्यापार नीतियों को लेकर भी सख्त टिप्पणी की।
BRICS देशों को कहा वैम्पायर
पीटर नवारो ने दावा किया कि BRICS देशों की आर्थिक मजबूती अमेरिका पर निर्भर है। उनके मुताबिक, अगर ये देश अमेरिका को अपना सामान बेचना बंद कर दें, तो इनकी अर्थव्यवस्था ढह जाएगी। उन्होंने कहा कि जब ये देश अमेरिका को सामान बेचते हैं, तो वे वैम्पायर की तरह हमारा खून चूसते हैं। वे अनुचित व्यापार नीतियों के जरिए अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे हैं। नवारो का आरोप है कि BRICS समूह के देशों की प्राथमिकता अमेरिका के बाजारों पर कब्जा जमाना है और वे आपसी मतभेदों के बावजूद एक साथ आकर वॉशिंगटन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
BRICS एकजुट नहीं हो सकता
नवारो ने यह भी कहा कि BRICS देशों के बीच लंबे समय से आपसी अविश्वास और दुश्मनी रही है। नवारो के शब्दों में – “मुझे नहीं पता कि BRICS कैसे एकजुट होता है, क्योंकि ऐतिहासिक रूप से ये देश एक-दूसरे से नफरत करते आए हैं और युद्ध भी लड़ चुके हैं।” उन्होंने खासतौर पर भारत और चीन के रिश्तों का जिक्र करते हुए कहा कि इन दोनों देशों के बीच दशकों से सीमा विवाद और युद्ध की स्थिति रही है। ऐसे में नवारो के मुताबिक BRICS की मजबूती सिर्फ एक दिखावा है।
भारत और चीन को लेकर बयानबाजी
इंटरव्यू के दौरान नवारो ने भारत-चीन रिश्तों पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने दावा किया कि भारत और चीन दशकों से युद्ध की स्थिति में हैं। चीन, पाकिस्तान को परमाणु बम तकनीक देने के लिए जिम्मेदार है। ऐसे में BRICS के भीतर एकजुटता टिक नहीं सकती। इसके साथ ही नवारो ने भारत को अप्रत्यक्ष रूप से चेतावनी दी कि अगर वह अमेरिका की व्यापार शर्तों को नहीं मानता, तो नई दिल्ली के लिए हालात मुश्किल हो सकते हैं।
भारत पर ‘महाराजा टैरिफ’ का आरोप
नवारो ने भारत की टैरिफ नीति पर भी निशाना साधा। उनका दावा है कि भारत अमेरिका से आने वाले कई उत्पादों पर बहुत ऊंचा टैरिफ लगाता है। नवारो ने इसे महाराजा टैरिफ करार देते हुए कहा “दुनिया के किसी भी बड़े देश की तुलना में भारत का अमेरिका पर टैरिफ सबसे ज्यादा है। हमें इससे निपटना होगा।” यह बयान ऐसे समय में आया है, जब भारत और अमेरिका के बीच कई व्यापारिक मुद्दों पर पहले से मतभेद चल रहे हैं।
रूस से तेल खरीद पर विवाद
पीटर नवारो ने भारत की रूस से तेल खरीद पर भी हमला बोला। उनका कहना है कि यूक्रेन युद्ध से पहले भारत रूस से बहुत कम तेल खरीदता था, लेकिन अब यह खरीद बढ़ गई है। उन्होंने रूसी तेल को “खून का पैसा” बताते हुए कहा कि यह यूक्रेन संघर्ष को बढ़ावा देता है। हालांकि, इस मुद्दे पर उनकी एक पोस्ट को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) ने फैक्ट-चेक करते हुए खारिज कर दिया। इसके बाद नवारो और एलन मस्क के बीच तीखी बहस हो गई। मस्क ने फैक्ट-चेक का बचाव करते हुए कहा कि इस प्लेटफॉर्म पर लोग अपनी बात कहने के लिए स्वतंत्र हैं और यहां नैरेटिव तय करने का हक किसी एक व्यक्ति को नहीं है।
भारत पर बढ़ता अमेरिकी दबाव
नवारो के बयान से साफ है कि ट्रंप प्रशासन के दौर में अमेरिका भारत पर दोहरी रणनीति अपनाना चाहता था – एक तरफ चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए भारत से नजदीकी, दूसरी तरफ व्यापार और ऊर्जा नीति पर लगातार दबाव। वर्तमान स्थिति में भी भारत के रूस से तेल सौदे और चीन के साथ उसके तनावपूर्ण संबंध अमेरिका के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं।
भारत की संतुलित नीति
पीटर नवारो के इन बयानों से साफ है कि अमेरिका BRICS देशों, खासकर भारत, को लेकर सतर्क और चिंतित है। एक तरफ BRICS दुनिया की अर्थव्यवस्था का संतुलन बदलने की कोशिश कर रहा है, तो दूसरी तरफ अमेरिका को डर है कि उसके आर्थिक वर्चस्व पर असर पड़ सकता है। भारत के लिए चुनौती यह है कि वह अमेरिका, रूस और BRICS के बीच अपने संतुलन को कैसे बनाए रखता है। आने वाले समय में यह मुद्दा भारत की विदेश नीति और वैश्विक भूमिका दोनों के लिए अहम साबित होने वाला है।