भारत ने 2014 से पहले आयोजित किए गए नौ एनईएलपी (नई अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति) बोली दौरों के जरिए 36 अरब डॉलर से अधिक का निवेश आकर्षित किया और अब तक 177 तेल और गैस की खोजें की हैं। यह जानकारी पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट में दी गई है। नई अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति (NELP) के तहत, ऐसे बोलीदाताओं को ब्लॉक प्रदान किए गए जो अधिकतम खोज करने का वादा करते थे। इस नीति के अंतर्गत, उन्हें सरकार के साथ लाभ साझा करने से पहले खोजे गए और उत्पादित तेल और गैस से निवेश की वसूली करने की अनुमति दी गई थी। यह नीति देश में तेल और गैस की खोज को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम थी, जिसके चलते भारतीय तेल और गैस क्षेत्र में निवेश और उत्पादन दोनों में वृद्धि हुई। इस प्रक्रिया ने न केवल ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत किया, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी सहारा दिया।
साल 2016 में, नई अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति (NELP) को राजस्व-साझाकरण मॉडल से प्रतिस्थापित किया गया, जिसमें ब्लॉकों को उन कंपनियों को सौंपा गया जो सरकार को उत्पादन का सबसे अधिक हिस्सा प्रदान करती थीं। साल 1999 और 2010 के बीच हुए एनईएलपी के नौ बोली दौरों में कुल 254 ब्लॉकों को सौंपा गया, जिनसे अन्वेषण में 17.6 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित हुआ। इसके परिणामस्वरूप 67 तेल और 110 गैस की खोजें की गईं। इन खोजों के विकास में कुल 18.64 अरब डॉलर का निवेश किया गया।
यह नीति देश में तेल और गैस के अन्वेषण को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई, क्योंकि इससे बड़े पैमाने पर निवेश हुआ और नई खोजों ने भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत किया। इन खोजों और निवेशों से भारत के ऊर्जा संसाधनों में भी वृद्धि हुई, जिससे देश को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाने का अवसर मिला।
रिपोर्ट में यह कहा गया है कि 2018 से 2022 तक, मुक्त क्षेत्र लाइसेंसिंग नीति (OALP) के आठ बड़े दौरों में कुल 144 ब्लॉकों को आवंटित किया गया, जिसमें अन्वेषण में 1.37 अरब डॉलर का निवेश हुआ। इसके परिणामस्वरूप छह तेल और चार गैस खोजें की गईं। इस दौरान, रिलायंस इंडस्ट्रीज और उनकी साझेदार बीपी पीएलसी द्वारा संचालित पूर्वी अपतटीय केजी-डी6 ब्लॉक, जो देश में उत्पादित होने वाली सभी प्राकृतिक गैस का एक-तिहाई उत्पादन करता है, ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके अलावा, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) के प्रमुख केजी-डीडब्ल्यूएन-98/2 (केजी-डी5) ब्लॉक को भी एनईएलपी दौर के दौरान आवंटित किया गया था। इन खोजों और ब्लॉकों ने भारत के ऊर्जा संसाधनों में महत्वपूर्ण वृद्धि की है और देश को गैस और तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर दिया। यह निवेश और अन्वेषण देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने में मददगार साबित हुआ है।
भारतीय अपस्ट्रीम क्षेत्र में व्यापार से जुड़ी सुगमता के मुद्दों को लेकर मंत्रालय द्वारा गठित संयुक्त कार्यसमूह की अंतरिम रिपोर्ट में यह बताया गया है कि नई अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति (NELP) ने न सिर्फ अन्वेषण क्षेत्र को विस्तार देने में मदद की, बल्कि भारत के अन्वेषण और उत्पादन (E&P) क्षेत्र में निजी और विदेशी निवेश को आकर्षित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि NELP के जरिए पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया को बढ़ावा मिला, जिससे कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को भारत के अपस्ट्रीम तेल और गैस क्षेत्र में प्रवेश करने का अवसर मिला। इसके चलते तकनीकी विशेषज्ञता, आधुनिक अन्वेषण तकनीकों और पूंजी निवेश में इजाफा हुआ, जिससे देश की ऊर्जा क्षमता को मजबूती मिली। यह नीति उन प्रयासों का हिस्सा रही है, जिनका उद्देश्य भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना और आयात पर निर्भरता को कम करना है।