दिल्ली से हैदराबाद तक: रियल एस्टेट में मंदी की दस्तक

महंगाई, ब्याज दरें और अनिश्चित आर्थिक माहौल के चलते लोग बड़ी खरीददारी जैसे मकान लेने से पीछे हट रहे हैं।

Industrial Empire
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क्या लोगों की आमदनी घट रही है या बैंकों से होम लोन मिलना मुश्किल हो गया है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि 2025 की पहली तिमाही यानि (जनवरी से मार्च) के दौरान भारत के आठ बड़े शहरों में मकानों की बिक्री में 19% की गिरावट दर्ज की गई है। यही नहीं, इस दौरान नए मकानों की सप्लाई भी 10% तक कम हो गई है। फिलहाल मकानों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जबकि देश की आर्थिक रफ्तार कुछ धीमी पड़ी है। ऐसे में लोग ज़्यादा सतर्क हो गए हैं और घर खरीदने के फैसले को टाल रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि महंगाई, ब्याज दरें और अनिश्चित आर्थिक माहौल के चलते लोग बड़ी खरीददारी जैसे मकान लेने से पीछे हट रहे हैं। साथ ही, बैंकों से होम लोन की शर्तें भी पहले के मुकाबले थोड़ी सख्त हो चुकी हैं, जिससे आम आदमी के लिए घर खरीदना और भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गया है।

कहाँ गिरी, कहाँ बढ़ी मकानों की बिक्री?

अगर साल-दर-साल तुलना करें तो 2025 की पहली तिमाही में सबसे ज़्यादा गिरावट मुंबई और हैदराबाद में देखने को मिली है। इन दोनों शहरों में मकानों की बिक्री में 26% की भारी कमी दर्ज की गई है। इसके बाद पुणे का नंबर आता है, जहाँ बिक्री 25% घटी है। दिल्ली-एनसीआर में भी यह ट्रेंड दिखा है। यहाँ पर मकानों की बिक्री में 16% की गिरावट हुई है। यह आंकड़े देश के बड़े रियल एस्टेट बाजारों में मंदी का साफ़ संकेत देते हैं। हालांकि इस पूरे माहौल के बीच बेंगलुरु और चेन्नई से थोड़ी राहत की खबर मिली है। बेंगलुरु में मकानों की बिक्री में 13% और चेन्नई में 8% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि दक्षिण भारत के इन शहरों में टेक सेक्टर की मजबूती, बेहतर नौकरी के अवसर और स्थिर कीमतें इस बढ़त की वजह हो सकती हैं। वहीं बाकी शहरों में महंगाई, ऊंची कीमतें और आर्थिक अनिश्चितता की वजह से लोग फिलहाल निवेश करने से पीछे हट रहे हैं।

सप्लाई में भी गिरावट

2025 की पहली तिमाही के दौरान देश के प्रमुख शहरों में नए मकानों की सप्लाई में 10% की गिरावट दर्ज की गई है। यानी जितने नए फ्लैट या मकान मार्केट में आते थे, उनकी संख्या अब पहले से कम हो गई है। पिछले कुछ सालों में लगातार मकानों की कीमतें तेज़ी से बढ़ी हैं। इसके चलते आम लोगों के लिए एक घर खरीदना अब पहले से कहीं ज़्यादा मुश्किल हो गया है। महंगाई, बढ़ते ब्याज दर और सीमित आमदनी के कारण बहुत से खरीदारों ने फिलहाल घर खरीदने का इरादा टाल दिया है।

इस बदली हुई मांग को देखते हुए डेवलपर्स भी अब ज़्यादा सतर्क हो गए हैं। उन्होंने नए प्रोजेक्ट्स की संख्या घटा दी है और फिलहाल उतना निर्माण नहीं कर रहे हैं जितना पहले करते थे। उनकी कोशिश अब पहले से बने प्रोजेक्ट्स को बेचने पर ज़्यादा फोकस करने की है, बजाय इस पर है, कि वे नए मकानों में भारी निवेश करें। इसी के साथ रियल एस्टेट सेक्टर के जानकारों का मानना है कि जब तक मांग में फिर से तेजी नहीं आती, तब तक सप्लाई भी सीमित रह सकती है।

बिक्री घटने की असली वजह क्या है?

हाउसिंग डॉट कॉम ग्रुप के सीईओ ध्रुव अग्रवाल का कहना है कि मकानों की कीमतों में हाल के महीनों में जो तेज़ उछाल आया, उसका सीधा असर बिक्री पर पड़ा है। लोग महंगे दाम देखकर घर खरीदने से पीछे हट रहे हैं। ध्रुव अग्रवाल ने कहा कीमतों में भारी बढ़ोतरी का असर अब साफ़ दिखने लगा है। इसके अलावा, दुनिया भर में चल रहे व्यापारिक तनाव और वैश्विक अनिश्चितता ने भी लोगों को बड़ा निवेश करने से रोक दिया है। ऐसे माहौल में रियल एस्टेट जैसी बड़ी खरीद पर लोग और भी ज्यादा सतर्क हो जाते हैं।

इसका साफ़ मतलब है कि सिर्फ घरेलू वजहें ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियाँ भी लोगों के मन में डर और संकोच पैदा कर रही हैं। अमेरिका और चीन जैसे बड़े देशों के बीच व्यापार युद्ध, बढ़ती ब्याज दरें और मंदी की आशंका ने खरीदारों का भरोसा थोड़ा डगमगाया है। इसके अलावा कई लोगों को यह भी लग रहा है कि शायद कीमतें और गिरें या बाजार में और विकल्प आएं, इसलिए वे इंतज़ार कर रहे हैं। कुल मिलाकर अस्थिरता और महंगाई के इस दौर में लोग सोच-समझकर ही कदम उठा रहे हैं।

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