प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में किसानों और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के हित में एक अहम फैसला लिया गया है। बैठक में प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) के लिए कुल 6,520 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी गई, जिसमें 1,920 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि भी शामिल है। यह बजट वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक के 15वें वित्त आयोग चक्र में खर्च किया जाएगा।
क्या है योजना का उद्देश्य?
इस फैसले का मुख्य उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को तकनीकी रूप से सक्षम बनाना, किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाना और उपभोक्ताओं तक सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण खाद्य उत्पाद पहुंचाना है। इसके ज़रिए फूड लॉजिस्टिक्स, कोल्ड स्टोरेज, वैल्यू एडिशन और फूड क्वालिटी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जाएगा।
देशभर में 50 फूड इर्रेडिएशन यूनिट्स
कैबिनेट के फैसले के तहत 1 हजार करोड़ की राशि से 50 मल्टी-प्रोडक्ट फूड इर्रेडिएशन यूनिट्स देशभर में स्थापित की जाएंगी। इन यूनिट्स के माध्यम से हर साल 20 से 30 लाख मीट्रिक टन खाद्य उत्पादों के संरक्षण की क्षमता विकसित होगी। फूड इर्रेडिएशन तकनीक खाद्य पदार्थों को कीटाणुओं से मुक्त करने, उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ाने और गुणवत्ता बनाए रखने में मदद करती है। यह खासतौर पर फल, सब्जियों, मसालों और अनाज के लिए बेहद लाभकारी है।
100 फूड टेस्टिंग लैब्स का निर्माण
इसके अलावा, 100 नई फूड टेस्टिंग लैब्स (FTLs) स्थापित की जाएंगी। ये लैब्स NABL (National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories) से मान्यता प्राप्त होंगी। इन लैब्स में अत्याधुनिक उपकरणों की मदद से खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा की जांच होगी। इससे उपभोक्ताओं को स्वच्छ, सुरक्षित और मानक अनुसार खाद्य सामग्री उपलब्ध कराना संभव होगा।
योजना के दो बड़े स्तंभ
इस पूरी योजना को दो प्रमुख घटकों के तहत लागू किया जाएगा:
ICCVAI (Integrated Cold Chain and Value Addition Infrastructure)
FSQAI (Food Safety and Quality Assurance Infrastructure)
इन दोनों योजनाओं को मांग आधारित बनाया गया है, यानी जो भी संस्थाएं इन सुविधाओं की स्थापना करना चाहेंगी, उन्हें जल्द ही जारी किए जाने वाले Expression of Interest (EOI) के माध्यम से प्रस्ताव भेजने होंगे। सरकार उन प्रस्तावों का मूल्यांकन करेगी और फिर योजना के तहत उन्हें वित्तीय सहायता व मंजूरी दी जाएगी।
किसानों, उद्यमियों और उपभोक्ताओं को मिलेगा लाभ
इस फैसले का सबसे बड़ा फायदा किसानों को मिलेगा। जब उनकी उपज को संरक्षित करने के लिए आधुनिक यूनिट्स होंगी और समय पर गुणवत्ता जांच होगी, तो उत्पाद खराब नहीं होंगे और उन्हें बेहतर कीमत मिलेगी। वहीं, फूड प्रोसेसिंग सेक्टर के छोटे और मध्यम उद्यमियों को भी सप्लाई चेन में मजबूती मिलेगी, जिससे नए रोजगार पैदा होंगे। उपभोक्ताओं के लिए भी यह फैसला राहत देने वाला है, क्योंकि अब बाजार में मिलने वाला खाद्य उत्पाद गुणवत्ता और सुरक्षा के मानकों पर खरा उतरेगा।
खाद्य सुरक्षा से लेकर आत्मनिर्भर भारत तक
सरकार का यह कदम सिर्फ खाद्य प्रसंस्करण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह निर्णय आत्मनिर्भर भारत अभियान से भी जुड़ा है। देश में ही आधुनिक टेस्टिंग सुविधाएं और संरक्षण तकनीकें विकसित होने से हम खाद्य सुरक्षा, कृषि निर्यात और ग्रामीण अर्थव्यवस्था – तीनों क्षेत्रों में मजबूती पा सकते हैं।
आधुनिक तकनीक से बदलेगा कृषि और खाद्य उद्योग का चेहरा
प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के तहत 8440 करोड़ की यह निवेश योजना न केवल किसानों की आय बढ़ाएगी बल्कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी। 50 इर्रेडिएशन यूनिट्स और 100 फूड लैब्स का देशभर में निर्माण एक नया खाद्य सुरक्षा तंत्र खड़ा करेगा जो भारत के कृषि आधारित उद्योग को नई दिशा देगा।