भारत का संचार का इतिहास बेहद दिलचस्प और प्रेरणादायक है। कभी हम एक संदेश भेजने के लिए घंटों इंतज़ार किया करते थे और आज पलक झपकते ही वीडियो कॉल कर पाते हैं। यह सफर सिर्फ टेक्नोलॉजी की प्रगति नहीं, बल्कि एक आत्मनिर्भर और आधुनिक भारत की कहानी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा कि भारत अब 6G टेक्नोलॉजी की तैयारी कर रहा है। आइए समझते हैं कि हमने यह लंबा सफर कैसे तय किया।
टेलीग्राफ का जमाना: आधुनिक संचार की शुरुआत
भारत में आधुनिक संचार की नींव ब्रिटिश राज के समय पड़ी। साल 1850 में कोलकाता और डायमंड हार्बर के बीच पहला इलेक्ट्रिक टेलीग्राफ लिंक शुरू किया गया। यह उस दौर की बड़ी क्रांति थी, जिसने संदेश भेजने के तरीके को पूरी तरह बदल दिया। हालांकि शुरुआत में यह सेवा बहुत महंगी थी और आम लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर पाते थे, लेकिन 1854 तक टेलीग्राफ नेटवर्क पूरे देश में फैल गया। यही वह दौर था जब “तार भेजना” संचार का सबसे भरोसेमंद साधन बन गया।
लैंडलाइन और टेलीफोन
टेलीग्राफ के बाद साल 1881 में कोलकाता, बंबई और मद्रास में टेलीफोन एक्सचेंज की शुरुआत हुई। उस समय फोन रखना किसी लग्जरी से कम नहीं था। एक लैंडलाइन कनेक्शन लगवाना मानो स्टेटस सिंबल बन गया था। लंबे इंतज़ार और भारी खर्च के बावजूद लोग इसे अपनाना चाहते थे। सरकारी कंपनियां, खासकर बीएसएनएल, ने देश में लैंडलाइन सेवाओं को फैलाने का बड़ा काम किया। हालांकि इसकी रफ्तार धीमी थी, लेकिन इसने लोगों के जीवन में संचार का नया अध्याय जोड़ दिया।
मोबाइल क्रांति और 2G का दौर
साल 1995 में भारत में मोबाइल फोन सर्विस शुरू हुई और यहीं से असली संचार क्रांति का आगाज़ हुआ। 2G टेक्नोलॉजी के साथ मोबाइल फोन ने लोगों को आज़ादी दी कि वे कहीं से भी, कभी भी बात कर सकें। शुरुआत में मोबाइल फोन बड़े और महंगे होते थे, लेकिन धीरे-धीरे इनकी कीमत कम हुई और ये आम आदमी की पहुंच में आ गए। इसी दौर में SMS और MMS का चलन भी शुरू हुआ, जिसने लोगों के बातचीत करने के तरीके को बदल डाला।
3G और 4G: इंटरनेट का जादू
साल 2008 में भारत में 3G सेवाएं लॉन्च हुईं। इससे मोबाइल इंटरनेट की रफ्तार बढ़ी और वीडियो कॉलिंग जैसी सुविधाएं संभव हुईं। इसके बाद 2012-13 में आया 4G, जिसने तो पूरे देश में डिजिटल क्रांति ला दी। सस्ता डेटा और तेज़ इंटरनेट स्पीड ने स्मार्टफोन को हर हाथ तक पहुंचा दिया। ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग, सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेमिंग जैसे अनुभव आम हो गए। इस दौर ने भारत को डिजिटल दुनिया में मजबूती से खड़ा कर दिया।
5G का आगमन: आत्मनिर्भर भारत की ओर
कुछ साल पहले भारत ने 5G टेक्नोलॉजी को अपनाया। खास बात यह रही कि भारत ने इसमें केवल उपयोगकर्ता की भूमिका नहीं निभाई, बल्कि खुद अपनी 5G टेक्नोलॉजी भी विकसित की। हाल में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की 5G सेवाएं दुनिया की सबसे सस्ती हैं। इतना ही नहीं, भारत ने अपनी 5G टेक्नोलॉजी को दूसरे देशों में निर्यात भी किया। यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में बड़ा कदम था, जिसने दिखा दिया कि भारत अब सिर्फ टेक्नोलॉजी लेने वाला देश नहीं, बल्कि देने वाला देश भी बन चुका है।
भविष्य की ओर कदम 6G की तैयारी
आज भारत का अगला लक्ष्य है स्वदेशी 6G टेक्नोलॉजी। भारत अब 6G पर रिसर्च और डेवलपमेंट कर रहा है। 6G की स्पीड 5G से कई गुना ज्यादा होगी और यह इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), वर्चुअल रियलिटी (VR) जैसी टेक्नोलॉजी को नई दिशा देगी। इससे उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव होंगे। भारत यह काम इसलिए कर रहा है ताकि विदेशी टेक्नोलॉजी पर निर्भरता कम हो और हम टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व कर सकें।
बदलता भारत
सोचिए, कभी हम “तार” भेजने के लिए घंटों इंतज़ार करते थे और आज सेकंडों में दुनिया के किसी भी कोने से वीडियो कॉल कर लेते हैं। यह सफर भारत के बदलते समाज, तकनीकी प्रगति और आत्मनिर्भरता की कहानी कहता है। अब गांव-गांव में इंटरनेट पहुंच रहा है, हर हाथ में स्मार्टफोन है और बच्चे भी ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं।
6G का सपना सिर्फ तेज़ इंटरनेट का नहीं है, बल्कि यह भारत के भविष्य की उस तस्वीर का हिस्सा है जिसमें हम टेक्नोलॉजी बनाने और उसे दुनिया को देने में भी अग्रणी होंगे। यह सिर्फ संचार का बदलाव नहीं, बल्कि भारत की प्रगति और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।