अगर अपनी जरूरत की चीज़ें जो आप 100 रुपये में खरीदते हैं, उस पर टैक्स इतना बढ़ जाए कि उन्हीं चीजों की कीमत सीधा 120-130 रुपये हो जाए। कुछ हो न हो आम आदमी का माथा जरूर ठनक जाएगा। ऐसा ही असर हो सकता है अगर सरकार जीएसटी की अधिकतम दर 40% से बढ़ाकर 60% तक करने का फैसला लेती है।
हाल ही में यह खबर सामने आई है कि सरकार जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) की ऊपरी सीमा यानी मैक्सिमम परमिसिबल रेट को 40% से बढ़ाकर 60% तक करने पर विचार कर रही है। अभी तक यह दर सिर्फ कानूनी तौर पर मौजूद थी जो कभी लागू नहीं की गई। लेकिन अब इसके इस्तेमाल की जरूरत सामने आ रही है क्योंकि कंपनसेशन सेस की समयसीमा 1 अप्रैल 2026 को खत्म होने जा रही है।
जब साल 2017 में जीएसटी लागू हुआ था तब राज्यों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए कंपनसेशन सेस लगाया गया था। ये सेस मुख्य रूप से लक्ज़री और हानिकारक वस्तुओं (सिन गुड्स) पर 28% जीएसटी के ऊपर अलग से लगाया जाता है। उदाहरण के लिए, एसयूवी पर 22% और एरेटेड ड्रिंक्स पर 12% तक का सेस लगता है। तंबाकू उत्पादों पर तो कुल टैक्स 55-60% तक पहुंच जाता है।
अब जब यह सेस हटाया जाएगा तो सरकार के सामने चुनौती होगी कि वो राजस्व की कमी को कैसे पूरा करेगी। इसके लिए सरकार इस सेस को जीएसटी की दरों में ही समाहित करने का प्लान कर रही है, जिस पर कंपनसेशन सेस पर बने मंत्रियों के समूह (GoM) में सहमति बन गई है। लेकिन ऐसा करने के लिए जीएसटी कानून में बदलाव की जरूरत होगी क्योंकि अभी 40% से ज्यादा टैक्स की अनुमति नहीं है।
हालांकि मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, भले ही जीएसटी दरें बढ़ें, सरकार का इरादा ऑटोमोबाइल, तंबाकू और सॉफ्ट ड्रिंक्स जैसे उत्पादों पर टैक्स दरों को जस का तस बनाए रखने का है। यानी आम उपभोक्ता पर सीधा असर शायद न हो लेकिन संभावना बनी हुई है। इस मुद्दे पर आखिरी फैसला जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में हो सकता है जिसकी तारीख अभी तय नहीं है। संभावना है कि इसे संसद के मानसून सत्र से पहले बुलाया जा सकता है।
प्रस्ताव का नतीजा
अगर जीएसटी की अधिकतम सीमा बढ़ती है तो भविष्य में सरकार के पास टैक्स बढ़ाने की ज्यादा गुंजाइश होगी। आम आदमी को इससे तब फर्क पड़ेगा जब यह बढ़ा हुआ टैक्स रोजमर्रा की चीजों पर लागू किया जाए। फिलहाल ये सिर्फ अभी एक प्रस्ताव है लेकिन अगर ये प्रस्ताव पास हो गया तो देश के टैक्स सिस्टम में यह अब तक का सबसे बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। वर्तमान समय में भारतीय जीएसटी प्रणाली में मुख्य रूप से चार स्लैब हैं : 5%, 12%, 18% और 28%। कुछ वस्तुओं पर 0% जीएसटी भी लगता है (जैसे दूध, अंडे, दही)। सोने और कीमती पत्थरों के लिए विशेष दरें भी हैं।