आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI और जनरेटिव AI ने टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक नई क्रांति ला दी है। दुनियाभर की कंपनियां तेजी से अपने कर्मचारियों को इन नई तकनीकों के लिए तैयार कर रही हैं। भारत की प्रमुख IT कंपनियां – TCS, Infosys, Wipro, HCL Technologies और Tech Mahindra – इस बदलाव की अगुवाई कर रही हैं। इन कंपनियों ने अब तक कुल मिलाकर 2.5 लाख से अधिक कर्मचारियों को AI और जनरेटिव AI की ट्रेनिंग दी है।
बेसिक नहीं, अब फोकस है एडवांस AI पर
शुरुआत में जब AI चर्चा में आया था, तब इन कंपनियों ने अपने लाखों कर्मचारियों को बेसिक ट्रेनिंग दी थी – जैसे कि AI क्या है, ChatGPT जैसे टूल्स का इस्तेमाल कैसे होता है वगैरह। लेकिन अब समय बदल गया है। कंपनियां अब अपने स्टाफ को हेल्थकेयर, फाइनेंस, लॉजिस्टिक्स, मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में AI का प्रैक्टिकल इस्तेमाल सिखा रही हैं।
TCS बना रहा है AI स्किल पिरामिड
TCS के HR हेड मिलिंद लक्कड़ ने बताया कि कंपनी एक “AI स्किल पिरामिड” तैयार कर रही है, जिसमें अलग-अलग लेवल्स पर विशेषज्ञता विकसित की जा रही है – जैसे एंटरप्राइज AI, एजेंटिक AI (जहां AI खुद निर्णय लेता है) और इंडस्ट्री-फोकस्ड सॉल्यूशन।
पांचों कंपनियों ने क्या किया अब तक?
TCS (Tata Consultancy Services) – कंपनी ने 1.14 लाख कर्मचारियों को एडवांस AI ट्रेनिंग दी है और अब और गहराई में काम कर रही है।
HCL Technologies – अब तक 42 हजार कर्मचारियों को जनरेटिव AI में ट्रेन किया है, जिनमें से 12 हजार लोग सीधे AI प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं।
Wipro – 87 हजार कर्मचारियों को एडवांस AI ट्रेनिंग दी जा चुकी है। कंपनी ने GenAI के लिए इनोवेशन लैब और अलग बजट तैयार किया है।
Infosys – 2.9 लाख कर्मचारियों की टीम में बड़ी संख्या को AI की बेसिक ट्रेनिंग मिल चुकी है। उन्हें AI-aware, AI-builder और AI-master की तीन कैटेगरी में बांटा गया है, लेकिन एडवांस लेवल की संख्या स्पष्ट नहीं की गई।
Tech Mahindra – 77 हजार कर्मचारियों को AI की बेसिक स्किल्स सिखाई गई हैं, लेकिन एडवांस ट्रेनिंग के आंकड़े सामने नहीं आए हैं।
फायदा कहां है? सवाल अभी भी बरकरार
इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने के बावजूद इन कंपनियों की प्रोडक्टिविटी या रेवेन्यू में कोई बड़ा बदलाव नजर नहीं आया है।
ट्रेनिंग के बाद भी नहीं घटी लागत
AI और ऑटोमेशन का एक मुख्य मकसद लागत कम करना होता है, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा। उदाहरण के तौर पर, TCS की कर्मचारियों पर लागत जून 2025 तिमाही में 47.6 फीसदी रही, जो एक साल पहले 46 फीसदी थी। इसका मतलब है कि AI से लागत घटने की बजाय कंपनी का खर्च बढ़ा है।
लीडरशिप की कमी और ट्रायल फेज़
Everest Group के चेयरमैन पीटर बेंडर-सैमुअल के मुताबिक भारत की आईटी कंपनियां AI में इन्वेस्ट जरूर कर रही हैं, लेकिन कोई भी कंपनी अभी तक AI लीडर के रूप में पूरी तरह स्थापित नहीं हुई है। सभी कंपनियां अभी ट्रायल और इम्प्लीमेंटेशन फेज़ में हैं। नए क्लाइंट्स मिल रहे हैं, लेकिन पुराने क्लाइंट्स से रेवेन्यू में गिरावट का डर भी बना हुआ है।
आवश्यकता
भारत की आईटी कंपनियों ने AI को अपनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। ट्रेनिंग, बजट, और इनोवेशन लैब्स जैसे निवेश किए गए हैं। लेकिन इन प्रयासों का सीधा असर अभी तक मुनाफे और उत्पादकता में नहीं दिखा है। AI से जुड़ी चुनौतियों को समझना, सही बिजनेस मॉडल विकसित करना और नई लीडरशिप तैयार करना अब कंपनियों की सबसे बड़ी जरूरत बन चुका है।