Google एक बार फिर टेक्नोलॉजी की सीमाओं को तोड़ने जा रहा है। इस बार उसका नजरिया धरती से ऊपर अंतरिक्ष तक पहुंच गया है। कंपनी एक ऐसा प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है, जो आने वाले समय में AI इंडस्ट्री की दिशा ही बदल सकता है। इस प्रोजेक्ट का नाम है “Project Suncatcher”, यानी सूरज की रोशनी को पकड़ने वाला। गूगल का प्लान है कि वह अंतरिक्ष में ऐसे AI डेटा सेंटर बनाए, जो पूरी तरह सूरज की रोशनी से चलेंगे।
क्या है Google का ‘Project Suncatcher’?
Google अपने इस नए प्रोजेक्ट के तहत पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit) में सैटेलाइट्स का एक झुंड भेजने की योजना बना रहा है। ये सैटेलाइट्स गूगल के खुद के AI चिप्स – Tensor Processing Units (TPUs) से लैस होंगे और आपस में जुड़े रहेंगे। ये सैटेलाइट्स लगातार सोलर एनर्जी से बिजली बनाएंगे और उसे AI डेटा प्रोसेसिंग के लिए इस्तेमाल करेंगे। यानी, यह एक तरह का स्पेस-बेस्ड डेटा सेंटर नेटवर्क होगा – जो धरती से जुड़ा रहेगा, लेकिन चलेगा सिर्फ सूरज की ऊर्जा पर।
अंतरिक्ष में डेटा सेंटर क्यों बना रहा है Google ?
‘द वर्ज’ की रिपोर्ट के मुताबिक, Google इस प्रोजेक्ट पर Planet Labs नामक कंपनी के साथ मिलकर काम कर रहा है। यह वही कंपनी है जो सैटेलाइट तकनीक में विशेषज्ञ मानी जाती है। दोनों कंपनियाँ मिलकर 2027 की शुरुआत में दो प्रोटोटाइप सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेजेंगी ताकि उनका परीक्षण किया जा सके।
दरअसल, अंतरिक्ष में सूरज की रोशनी पृथ्वी से 8 गुना ज्यादा ताकतवर होती है। यहां न तो बादल होते हैं, न रात। यानी बिजली की आपूर्ति लगातार और स्थिर रहती है। यही वजह है कि स्पेस में डेटा सेंटर बनाना गूगल के लिए ऊर्जा और दक्षता दोनों के लिहाज से बेहतर साबित हो सकता है।
धरती पर क्यों नहीं चल पा रहे हैं डेटा सेंटर?
AI के विस्तार के साथ ही दुनिया में कंप्यूटिंग पावर की मांग तेजी से बढ़ रही है। अगले पाँच वर्षों में एआई डेटा सेंटरों की क्षमता को कम से कम पाँच गुना बढ़ाना पड़ेगा। लेकिन समस्या यह है कि मौजूदा डेटा सेंटर बहुत ज्यादा बिजली खाते हैं। केवल सर्वर ही 60 फीसदी बिजली खा जाते हैं। कूलिंग सिस्टम की बात करें तो यह 7 से 30 फीसदी तक ऊर्जा लेते हैं। वहीं बाकी बिजली नेटवर्किंग और स्टोरेज डिवाइसेज़ में जाती है।
दुनिया भर में यह चिंता बढ़ रही है कि एआई के बढ़ते इस्तेमाल से बिजली की खपत बेकाबू हो जाएगी। ऐसे में गूगल का स्पेस-बेस्ड एनर्जी मॉडल एक इको-फ्रेंडली समाधान बन सकता है।
ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत सूर्य
Google के मुताबिक, सूरज सौर मंडल का सबसे बड़ा ऊर्जा स्रोत है। यह इंसानों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कुल बिजली से 100 ट्रिलियन गुना ज्यादा पावर देता है। यही वजह है कि कंपनी ने ‘Project Suncatcher’ के तहत सौर ऊर्जा को सीधे अंतरिक्ष में ही कैप्चर करने का फैसला लिया है। इस ऊर्जा का इस्तेमाल न सिर्फ AI डेटा प्रोसेसिंग में होगा, बल्कि इससे धरती पर बिजली की खपत और पर्यावरण पर दबाव भी कम होगा।
कैसे काम करेगा यह सिस्टम?
ये सैटेलाइट्स एक-दूसरे से जुड़े रहेंगे और AI डेटा का एक्सचेंज करेंगे। जरूरत पड़ने पर ये पृथ्वी से भी जुड़ सकेंगे। इस तरह यह नेटवर्क एक “ऑर्बिटल AI इकोसिस्टम” तैयार करेगा। हर सैटेलाइट में हाई-कैपेसिटी सोलर पैनल, स्टोरेज यूनिट्स और AI चिप्स लगे होंगे। सोलर पावर से ये चिप्स लगातार डेटा प्रोसेस करेंगे – चाहे वह मशीन लर्निंग हो, चैटबॉट्स का रिस्पॉन्स हो या वीडियो प्रोसेसिंग।
बढ़ती एआई की मांग और भविष्य
आज हर टेक कंपनी AI की रेस में है चाहे वह ChatGPT हो, Gemini या Copilot। हर जगह कंप्यूटिंग पावर की भूख तेजी से बढ़ रही है। इसी को पूरा करने के लिए Google ने धरती से ऊपर नजर डाली है। अगर यह प्रोजेक्ट सफल हुआ, तो यह टेक्नोलॉजी और सस्टेनेबिलिटी दोनों के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा। आने वाले समय में हम शायद ऐसे युग में प्रवेश कर रहे हैं, जहाँ AI धरती नहीं, अंतरिक्ष से संचालित होगा।
भविष्य की झलक
Google का यह प्रयोग एक तकनीकी नवाचार है सात में एक नई ऊर्जा सोच का प्रतीक भी है। जब धरती की सीमाएँ छोटी पड़ने लगें, तो इंसान का अगला कदम हमेशा आसमान की ओर होता है और Google ने वही किया है। “Project Suncatcher” शायद वह पहला कदम है, जो हमें यह दिखाएगा कि टेक्नोलॉजी का भविष्य अब धरती से परे है।