गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की साहित्यिक और भावनात्मक धरोहर एक बार फिर चर्चा में है। हाल ही में उनके हाथ से लिखे 35 दुर्लभ पत्रों का संग्रह नीलामी में 5.9 करोड़ रुपये में बिका। इस ऐतिहासिक नीलामी का आयोजन 26 और 27 जून को आस्टागुरु नीलामी संस्था ने ‘कलेक्टर्स चॉइस’ शीर्षक से किया था। ये पत्र उन्होंने 1927 से 1936 के बीच अपने विश्वासपात्र मित्र और समाजशास्त्री धुर्जटि प्रसाद मुखर्जी को लिखे थे।
इन चिट्ठियों की खास बात यह है कि ये 12 अलग-अलग लेटरहेड्स पर लिखी गई थीं – जिनमें विश्व-भारती विश्वविद्यालय, उत्तरायण स्थित उनका निवास, दार्जिलिंग का ग्लेन ईडन बंगला और हाउसबोट ‘पद्मा’ जैसे स्थान शामिल हैं। ये स्थान रवींद्रनाथ टैगोर के जीवन के अलग-अलग पहलुओं और भावनाओं से जुड़े रहे हैं।

आस्टागुरु के मुख्य विपणन अधिकारी मनोज मनसुखानी ने बताया कि, “यह नीलामी इसलिए भी खास रही क्योंकि इसमें दृश्य कलाकृतियों के बजाय हाथ से लिखी चिट्ठियों जैसी साहित्यिक सामग्रियां पेश की गईं।” ये केवल पत्र नहीं उनकी आत्मा की झलक है। इन पत्रों में दर्शन, सौंदर्यबोध, साहित्यिक विमर्श और भावनात्मक गहराई की समृद्ध अभिव्यक्ति देखने को मिलती है।
मनसुखानी ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे दुर्लभ व्यक्तिगत पत्र आमतौर पर नीलामी में नहीं आते क्योंकि ठाकुर के अधिकांश महत्वपूर्ण पत्र सरकारी या विश्वविद्यालय अभिलेखागारों में सुरक्षित हैं। इन पत्रों की सत्यता को प्रमाणित किया गया है और इनमें से कई पत्र प्रतिष्ठित पुस्तकों और पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हो चुके हैं।
इस नीलामी में एक और उल्लेखनीय कृति रही रवींद्रनाथ टैगोर की एकमात्र ज्ञात मूर्ति ‘द हार्ट’ जो 1 करोड़ रुपये से अधिक में बिकी। यह मूर्ति कादंबरी देवी को समर्पित मानी जाती है जो उनके भाई ज्योतिरींद्रनाथ ठाकुर की पत्नी थीं और जिनसे उनका गहरा भावनात्मक जुड़ाव था। यह मूर्ति उन्होंने साल 1883 में कारवाड़, कर्नाटक में बनाई थी जब वे सिर्फ 22 वर्ष के थे।
इस नीलामी में कुल 77 वस्तुएं रखी गई थीं। लेकिन सबसे ज्यादा बोली रवींद्रनाथ की चिट्ठियों पर लगी। इनके बाद एम एफ हुसैन की ‘मदर टेरेसा’ श्रृंखला की एक पेंटिंग 3.80 करोड़ रुपये में नीलाम हुई।