वैश्विक आर्थिक सुस्ती और अमेरिका (US) के नए आयात शुल्कों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूती से आगे बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अपनी ताज़ा वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (WEO) रिपोर्ट में भारत को दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बताया है। IMF का कहना है कि भारत 2025-26 में 6.6% की दर से वृद्धि करेगा, जो चीन (4.8%) से भी तेज़ है।
IMF की रिपोर्ट में भारत सबसे आगे
IMF ने भारत की आर्थिक प्रगति को “उम्मीद से बेहतर” बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की पहली तिमाही में 7.8% की दमदार ग्रोथ ने भविष्य के लिए मजबूत आधार तैयार किया है। संस्थान के अनुसार, घरेलू मांग, सरकारी निवेश, और मजबूत सर्विस सेक्टर की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था अमेरिका के आयात शुल्कों के प्रभाव को झेलते हुए भी स्थिर बनी हुई है। IMF का यह अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सरकार के दृष्टिकोण से भी मेल खाता है, जहां 2025-26 के लिए GDP ग्रोथ टारगेट 6.3% से 6.8% रखा गया है।
दुनिया धीमी, भारत तेज़
रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक अर्थव्यवस्था 2025 में 3.2% और 2026 में 3.1% की दर से बढ़ेगी यानी भारत वैश्विक औसत से दोगुनी रफ्तार से आगे रहेगा। IMF का कहना है कि अमेरिका और यूरोप जैसे विकसित देशों में मुद्रास्फीति और ब्याज दरों के दबाव से विकास की गति धीमी पड़ रही है। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की औसत वृद्धि सिर्फ 1.6% रहने का अनुमान है, जबकि उभरती अर्थव्यवस्थाएँ औसतन 4.2% की दर से बढ़ेंगी। इनमें भारत सबसे ऊपर रहेगा।
IMF ने चेतावनी दी है कि दुनिया अभी भी “लंबी अवधि की अनिश्चितता, संरक्षणवाद और श्रम बाजार की चुनौतियों” से जूझ रही है। कई देशों में राजकोषीय अस्थिरता और वित्तीय जोखिम भी बढ़ते दिख रहे हैं।
भारत की मजबूती: घरेलू खपत और सुधार
भारत के लिए IMF का ऊंचा अनुमान इसलिए भी खास है क्योंकि वैश्विक स्तर पर संरक्षणवाद (protectionism) बढ़ रहा है। अमेरिका द्वारा लगाई गई व्यापारिक रुकावटों के बावजूद भारतीय बाजार पर इसका असर सीमित रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत की घरेलू खपत, बढ़ती आय, और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर ने अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है।
साथ ही, मेक इन इंडिया, उत्पादन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजनाओं और बुनियादी ढांचे में भारी निवेश ने देश को उत्पादन केंद्र के रूप में उभरने में मदद की है।
2026 में मामूली गिरावट की संभावना
IMF ने हालांकि 2026 के लिए भारत की वृद्धि दर को 6.2% तक घटाने की संभावना जताई है। रिपोर्ट के अनुसार, पहली तिमाही की ऊंची ग्रोथ धीरे-धीरे सामान्य हो सकती है। फिर भी, यह दर चीन, अमेरिका और अन्य उभरते देशों की तुलना में काफी बेहतर रहेगी।
Deloitte ने भी जताया भरोसा
IMF के बाद अब Deloitte India ने भी भारत की ग्रोथ पर भरोसा जताया है। कंपनी की ‘भारत आर्थिक परिदृश्य’ रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.7% से 6.9% की दर से बढ़ेगी। डेलॉयट ने कहा कि मजबूत घरेलू मांग, उदार मौद्रिक नीतियां, कम महंगाई और बढ़ी हुई क्रय शक्ति (purchasing power) भारत की ग्रोथ को और बढ़ावा देंगी।
इसके अलावा, GST 2.0 और नए संरचनात्मक सुधारों से टैक्स अनुपालन बेहतर होगा और राजस्व में स्थिरता आएगी। डेलॉयट का अनुमान है कि इस वित्त वर्ष में औसत GDP ग्रोथ 6.8% तक रह सकती है जो पिछले अनुमान से 0.3% अधिक है।
वैश्विक जोखिम और आगे की राह
IMF ने चेतावनी दी है कि संरक्षणवाद, वित्तीय अस्थिरता और कमजोर वैश्विक व्यापार जैसे कारक आगे चलकर भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए चुनौती बन सकते हैं। रिपोर्ट में नीति निर्माताओं से अपील की गई है कि वे पारदर्शी, टिकाऊ और दीर्घकालिक नीतियों को अपनाकर निवेशकों का भरोसा बनाए रखें।
भारत की रफ्तार कायम
भारत की अर्थव्यवस्था न सिर्फ एशिया बल्कि पूरी दुनिया के लिए विकास का इंजन बनी हुई है। अमेरिका के टैरिफ, वैश्विक अनिश्चितता और धीमी अंतरराष्ट्रीय मांग के बावजूद भारत का 6.6% ग्रोथ रेट यह बताने के लिए काफी है कि देश अब “आत्मनिर्भर विकास मॉडल” की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ चुका है।
IMF और Deloitte दोनों का संदेश साफ है आने वाले वर्षों में भारत आर्थिक स्थिरता, नवाचार और घरेलू बाजार की ताकत के दम पर वैश्विक अर्थव्यवस्था में अग्रणी भूमिका निभाता रहेगा।