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The Industrial Empire - उद्योग, व्यापार और नवाचार की दुनिया | The World of Industry, Business & Innovation > अस्वर्गीकृत > ‘मेड इन चाइना’ पर लगेगा ब्रेक! भारत सरकार ने उठाया बड़ा कदम
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‘मेड इन चाइना’ पर लगेगा ब्रेक! भारत सरकार ने उठाया बड़ा कदम

Industrial Empire
Last updated: 21/05/2025 1:06 PM
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भारत सरकार द्वारा मेड इन चाइना उत्पादों पर रोक लगाने की दिशा में बड़ा कदम
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भारत अब अपने पड़ोसी देशों के साथ व्यापार और कूटनीति के क्षेत्र में तेजी से मजबूत होता जा रहा है। पाकिस्तान को तो पहले ही कई मोर्चों पर करारा जवाब मिल चुका है और अब सरकार की निगाह चीन पर है। केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सिर्फ सीमाओं पर नहीं, बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी भारत को आत्मनिर्भर और मज़बूत बनाना है। यही वजह है कि अब “मेड इन चाइना” उत्पादों पर लगाम कसने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। पिछले कुछ सालों में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए हैं, जिनमें व्यापारिक रिश्ते बंद करना, मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस लेना और आयात पर शुल्क बढ़ाना शामिल है। इन फैसलों का सीधा असर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर पड़ा और वहां की हालत बद से बदतर हो गई। अब इसी तरह की योजना चीन के खिलाफ भी बन रही है, ताकि विदेशी सामान पर निर्भरता घटे और भारत की घरेलू इकॉनमी को मजबूती मिले।

सरकार ने तय किया है कि आने वाले समय में चीनी माल को धीरे-धीरे भारत से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। इसके लिए सबसे पहले उन सामानों को चिन्हित किया है, जो चीन से भारी मात्रा में आयात किए जाते हैं, जैसे मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक सामान, खिलौने, होम डेकोर आइटम्स और सस्ते किचन प्रोडक्ट्स। इन पर अब आयात शुल्क बढ़ाया जा रहा है और साथ ही गुणवत्ता की कड़ी जांच भी लागू की जा रही है। ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म्स को भी अब सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे हर सामान की देश-निर्माण जानकारी को प्रदर्शित करें, ताकि ग्राहक यह तय कर सके कि वह उत्पाद स्वदेशी है या विदेशी। इसका उद्देश्य है उपभोक्ताओं को जागरूक बनाना और “वोकल फॉर लोकल” की भावना को बढ़ावा देना।

इसके अलावा भारत सरकार ने चीन को रेलवे, रक्षा, टेलीकॉम और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे रणनीतिक क्षेत्रों से बाहर करने की प्रक्रिया भी तेज कर दी है। कई ऐसे टेंडर अब भारतीय कंपनियों को दिए जा रहे हैं, जिनमें पहले चीनी कंपनियों की भागीदारी होती थी। यह कदम सिर्फ व्यापार का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता का भी है।

पाकिस्तान की तरह चीन को भी यह समझ में आने लगा है कि भारत अब पहले जैसा नहीं रहा। अब भारत सिर्फ रक्षा के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि आर्थिक युद्ध में भी सक्षम हो चुका है। “मेक इन इंडिया”, “स्टार्टअप इंडिया”, और “आत्मनिर्भर भारत” जैसे अभियानों ने देश में एक नया बदलाव शुरू किया है। इससे घरेलू उत्पादन को बल मिल रहा है और विदेशी कंपनियों की पकड़ कमजोर हो रही है। साथ ही जनता की भागीदारी भी इस योजना में अहम है। अगर ग्राहक चीनी उत्पादों को न खरीदने का संकल्प लें और स्वदेशी सामान को अपनाएं, तो यह एक बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है। यही कारण है कि सरकार अब स्कूलों, कॉलेजों और मीडिया के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रही है कि भारतीय उत्पादों का इस्तेमाल बढ़ाएं और आर्थिक राष्ट्रवाद की भावना को अपनाएं।

अगर यह रणनीति पूरी तरह लागू होती है, तो भारत न केवल अपने घरेलू उद्योगों को मजबूती देगा, बल्कि वैश्विक बाजार में भी भारतीय उत्पादों की पहचान बढ़ेगी। चीन से आने वाले घटिया और सस्ते माल पर रोक लगने से भारतीय उत्पादों की मांग बढ़ेगी और छोटे कारोबारियों को नया जीवन मिलेगा। इससे देश में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और युवाओं को स्वरोजगार की दिशा में प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अलावा, यह कदम देश की सुरक्षा नीति को भी मजबूत बनाएगा, क्योंकि कई बार विदेशी कंपनियों के माध्यम से जासूसी या डाटा चोरी जैसी घटनाएं सामने आई हैं। ऐसे में चीनी टेक्नोलॉजी से दूरी बनाकर भारत अपने डाटा और संसाधनों की सुरक्षा को और पुख्ता कर सकता है।

यह योजना भारत को न केवल आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगी, बल्कि आत्मगौरव, आत्मनिर्भरता और सुरक्षा के मार्ग पर भी आगे ले जाएगी। यह समय है जब भारत न केवल चीन को टक्कर देगा, बल्कि अपनी ताकत से दुनिया को भी एक नया संदेश देगा।

TAGGED:Chinese product alternatives in IndiaIndian government anti-China policyIndustrial EmpireMade in China ban IndiaVocal for Local India
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