Semiconductor Chip: भारत सेमीकंडक्टर उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। नवी मुंबई अब इस क्रांति का गवाह बनने जा रहा है। आरआरपी इलेक्ट्रॉनिक्स को 12 हजार करोड़ रुपये की लागत से सेमीकंडक्टर फैब यूनिट लगाने के लिए 100 एकड़ जमीन आवंटित की गई है। खास बात यह है कि इस मेगा प्रोजेक्ट में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर भी निवेशक के रूप में जुड़े हैं। इस यूनिट की क्षमता हर महीने 1.25 लाख वेफर्स बनाने की होगी, जो एशिया की सबसे बड़ी और उन्नत फैब यूनिट्स में से एक मानी जाएगी।
फडणवीस ने सौंपी सहमति पत्र
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आरआरपी इलेक्ट्रॉनिक्स को इस प्रोजेक्ट के लिए भूमि आवंटन का सहमति पत्र सौंपा। इस मौके पर उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार इस प्रोजेक्ट की सफलता के लिए हर स्तर पर सहयोग करेगी। चाहे बुनियादी ढांचा हो, नीतिगत समर्थन या स्किल डेवलपमेंट – सरकार हर संभव मदद देगी। फडणवीस ने इसे भारत के लिए ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि यह प्रोजेक्ट न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश को सेमीकंडक्टर (Semiconductor) उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
छह महीने में शुरू होगा उत्पादन
आरआरपी इलेक्ट्रॉनिक्स के अनुसार, इस फैब यूनिट की लागत करीब 12,035 करोड़ रुपये होगी। कंपनी का लक्ष्य है कि अगले छह महीने के भीतर विनिर्माण कार्य शुरू किया जाए। इसका पहला चरण वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही तक चालू होने की उम्मीद है। कंपनी के चेयरमैन राजेंद्र चोडणकर ने कहा कि यह अधिग्रहण भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को नई पहचान देगा और युवाओं के लिए हजारों रोजगार के अवसर पैदा करेगा। नवी मुंबई को इससे वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स मानचित्र पर जगह मिलने की पूरी संभावना है।
भारत में ही बनेगी ई-पासपोर्ट चिप
इसी बीच एक और बड़ी खबर आई है – अब ई-पासपोर्ट के लिए इस्तेमाल होने वाली सिक्योर सेमीकंडक्टर चिप भारत में ही विकसित की जाएगी। यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को नई गति देने वाली है। इस प्रोजेक्ट के लिए L&T सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजीज, सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (C-DAC) और IIT गांधीनगर ने एक त्रिपक्षीय समझौता किया है। इस साझेदारी का लक्ष्य ई-पासपोर्ट के लिए पूरी तरह से स्वदेशी और सुरक्षित इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) समाधान तैयार करना है।
डिजिटल संप्रभुता की ओर बड़ा कदम
ई-पासपोर्ट के लिए बनने वाली इस चिप और उसके स्मार्ट ऑपरेटिंग सिस्टम को पूरी तरह से ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत विकसित किया जाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इससे जुड़े सभी बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights – IPRs) भारत के पास रहेंगे। इससे देश की डिजिटल संप्रभुता (Digital Sovereignty) मजबूत होगी और आयात पर निर्भरता कम होगी।
भविष्य की संभावनाएं
यह प्रोजेक्ट सिर्फ ई-पासपोर्ट तक ही सीमित नहीं रहेगा। भविष्य में इस स्वदेशी चिप का इस्तेमाल आधार कार्ड, स्मार्ट कार्ड, डिजिटल बैंकिंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) डिवाइस जैसे कई क्षेत्रों में किया जा सकेगा। यह पहल सुरक्षा-संवेदनशील क्षेत्रों में विदेशी टेक्नोलॉजी पर भारत की निर्भरता को कम करेगी और देश की डिजिटल सुरक्षा को और मजबूत बनाएगी।
भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री की नई उड़ान
नवी मुंबई का मेगा प्रोजेक्ट और ई-पासपोर्ट चिप के लिए हुआ समझौता इस बात का संकेत है कि भारत अब सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री (Semiconductor Industry) में सिर्फ उपभोक्ता नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर निर्माता बनने की राह पर है। एक ओर जहां नवी मुंबई फैब यूनिट हजारों रोजगार और औद्योगिक विकास लाएगी, वहीं ई-पासपोर्ट चिप प्रोजेक्ट भारत को डिजिटल सुरक्षा और स्वदेशी टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में मजबूत करेगा। भारत के लिए ये दोनों पहलें भविष्य की उस तस्वीर को साफ करती हैं जिसमें देश इलेक्ट्रॉनिक्स और डिजिटल टेक्नोलॉजी का वैश्विक केंद्र बनकर उभरेगा। यदि यह योजना सफल हो जाती है तो सबसे बड़ी बात जो है भारत की चीन पर निर्भरता काम हो जाएगी।