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The Industrial Empire - उद्योग, व्यापार और नवाचार की दुनिया | The World of Industry, Business & Innovation > टेक /ऑटो > हाइड्रोजन गाड़ियों के लिए नई नंबर प्लेट योजना, सरकार ने जारी किया ड्राफ्ट
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हाइड्रोजन गाड़ियों के लिए नई नंबर प्लेट योजना, सरकार ने जारी किया ड्राफ्ट

Industrial Empire
Last updated: 29/06/2025 4:28 PM
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भारत सरकार का सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) अब हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाले वाहनों के लिए अलग पंजीकरण नंबर प्लेट लाने की तैयारी में है। मंत्रालय ने इस संबंध में HSRP (High Security Registration Plate) की एक नई रंग योजना का ड्राफ्ट जारी किया है और 30 दिनों के भीतर लोगों से सुझाव और आपत्तियाँ मांगी हैं।

नंबर प्लेट का रंग कैसा होगा?
हाइड्रोजन वाहनों की नंबर प्लेट तीन श्रेणियों में अलग-अलग रंगों में होगी:-

कमर्शियल व्हीकल: ऊपरी हिस्सा हरा, निचला हिस्सा नीला और नंबर पीले रंग में होंगे।
प्राइवेट व्हीकल: ऊपरी हिस्सा हरा, निचला हिस्सा नीला और नंबर सफेद रंग में होंगे।
किराये की टैक्सी: ऊपरी हिस्सा काला, निचला हिस्सा नीला और नंबर पीले रंग में होंगे।

क्या है हाइड्रोजन फ्यूल?
हाइड्रोजन एक साफ और हरित ऊर्जा स्रोत है, जो पर्यावरण के लिए फायदेमंद होता है। हालांकि यह शुद्ध रूप में वायुमंडल में नहीं मिलता, लेकिन इसे पानी या हाइड्रोकार्बन अणुओं से अलग किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल ईंधन के रूप में तब होता है जब इसे संग्रहित और शुद्ध किया जाता है। हाइड्रोजन जलने पर केवल पानी (H₂O) उत्सर्जित करता है, जिससे प्रदूषण नहीं होता।

ग्रीन हाइड्रोजन कैसे बनता है?
ग्रीन हाइड्रोजन पानी में इलेक्ट्रोलिसिस की प्रक्रिया से तैयार किया जाता है। इस प्रोसेस में इलेक्ट्रोलाइज़र मशीन का इस्तेमाल होता है, जो सौर (solar) और पवन (wind) ऊर्जा से चलता है। इस वजह से इसे “ग्रीन” कहा जाता है क्योंकि इसमें कार्बन उत्सर्जन नहीं होता।

हाइड्रोजन ईंधन के फायदे
हाइड्रोजन में बाकी ईंधनों की तुलना में ज़्यादा ऊर्जा होती है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, 1 किलो हाइड्रोजन करीब 4.5 लीटर डीजल के बराबर होती है। यह न केवल हल्का और सस्ता है बल्कि प्रदूषण को भी काफी हद तक कम करता है। इसके जलने से धुंआ नहीं निकलता बल्कि केवल पानी बनता है।

सरकार की हाइड्रोजन नीति और मिशन
भारत सरकार ने नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य हाइड्रोजन को ईंधन के रूप में अपनाना है। इसके तहत सरकार कई प्रकार की सब्सिडी और इंसेंटिव दे रही है। राज्यों ने भी अपनी हाइड्रोजन नीतियाँ बनाना शुरू कर दिया है, जिससे इन्फ्रास्ट्रक्चर को मज़बूती मिलेगी।

पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत
सरकार ने देश में 5 पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए हैं, जिनमें कुल 37 हाइड्रोजन वाहन (बस और ट्रक) और 9 हाइड्रोजन फ्यूल स्टेशन शामिल हैं। ये वाहन देश के 10 प्रमुख मार्गों पर परीक्षण के लिए चलेंगे जैसे – दिल्ली-आगरा, भुवनेश्वर-पुरी, पुणे-मुंबई, जमशेदपुर-कलिंगनगर और विशाखापट्टनम-बय्यावरम आदि।

सरकार का यह कदम न केवल ईंधन के वैकल्पिक स्रोत को बढ़ावा देगा बल्कि प्रदूषण कम करने में भी अहम भूमिका निभाएगा। हाइड्रोजन वाहनों के लिए नई नंबर प्लेट रंग योजना, जागरूकता और पहचान में भी मदद करेगी, जिससे ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा मिलेगा।

TAGGED:AutomobilesCommercial Vehiclesfuel hydrogenhydrogenIndustrial Empire
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