भारत के सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के एफएमसीजी कारोबार को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। अब कंपनी अपने सभी एफएमसीजी ब्रांड्स को एक नई कंपनी के अंतर्गत लाने जा रही है, जिसका नाम होगा न्यू रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (New RCPL)। यह बिल्कुल वैसी ही स्ट्रक्चर वाली इकाई होगी जैसी जियो प्लेटफॉर्म्स लिमिटेड है यानी RIL की डायरेक्ट सब्सिडियरी।
बदलाव क्यों ज़रूरी था?
अब तक रिलायंस के ये ब्रांड्स अलग-अलग कंपनियों – RRVL, RRL और RCPL में बिखरे हुए थे। लेकिन इस नए पुनर्गठन का मकसद है कि एफएमसीजी बिजनेस पर केंद्रित रणनीति अपनाई जाए। एफएमसीजी क्षेत्र की ज़रूरतें रिटेल बिजनेस से अलग होती हैं। यहां ब्रांडिंग, प्रोडक्ट डेवलपमेंट, डिस्ट्रीब्यूशन और कंज्यूमर बिहेवियर की गहरी समझ चाहिए। NCLT के आदेश में भी यही बात दोहराई गई है कि यह एक स्वतंत्र और विशिष्ट क्षेत्र है, जिसके लिए विशेष संसाधन और प्रबंधन मॉडल चाहिए।
IPO की राह पर नया बिजनेस
अंबानी पहले ही कह चुके हैं कि वो रिटेल और टेलीकॉम सेक्टर में आईपीओ लाने की योजना बना रहे हैं। FMCG यूनिट को अलग करना इसी दिशा में एक अहम स्टेप है। जानकारों की मानें तो RRVL की वैल्यू फिलहाल 100 डॉलर बिलियन से ऊपर है। अगर इसका IPO आता है तो यह देश का अब तक का सबसे बड़ा पब्लिक इश्यू हो सकता है।
FMCG में रिलायंस की पहुंच
2023-24 में रिलायंस का एफएमसीजी कारोबार करीब 11,500 करोड़ रुपये का था। इसके तहत कंपनी के पास 15 से ज्यादा ब्रांड हैं जैसे कि कैम्पा कोला, इंडिपेंडेंस, रावलगांव, SIL जैम, सोस्यो ड्रिंक्स, और वेलवेट्टे शैम्पू। ये ब्रांड अब उपभोक्ताओं के बीच एक मजबूत पहचान बनाने की प्रक्रिया में हैं। साथ ही कंपनी लगातार नए अधिग्रहण भी कर रही है ताकि प्रोडक्ट पोर्टफोलियो को और मज़बूत किया जा सके।
कीमत कम, मार्जिन ज्यादा: गेम चेंजर मॉडल
रिलायंस की रणनीति काफी आक्रामक है। RCPL के प्रोडक्ट्स बाज़ार में मौजूदा ब्रांड्स जैसे कोका-कोला, मोंडेलेज और HUL के मुकाबले 20-40 फीसदी तक सस्ते हैं। यही नहीं कंपनी अपने डिस्ट्रीब्यूटर्स और दुकानदारों को ज्यादा ट्रेड मार्जिन भी दे रही है। मतलब यह कि दुकान चलाने वालों को RCPL के प्रोडक्ट बेचने पर ज़्यादा मुनाफा होता है और यह ग्राउंड लेवल पर तेजी से कंपनी की पैठ बढ़ा रहा है।
टारगेट: 60 करोड़ भारतीय उपभोक्ता
RCPL के डायरेक्टर टी. कृष्णकुमार ने हाल ही में बताया कि कंपनी की रणनीति 60 करोड़ उपभोक्ताओं तक पहुंचने की है। यह उपभोक्ता वर्ग मुख्यतः भारत के ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में है, जो अब तक पारंपरिक FMCG ब्रांड्स से थोड़ा दूर रहा है। कंपनी का इरादा है कि वह साल 2027 तक पूरे भारत में एक मजबूत FMCG नेटवर्क खड़ा करे वह भी पड़ोस की दुकानों को साथ लेकर।
रिलायंस का यह कदम साफ दर्शाता है कि कंपनी अब एफएमसीजी स्पेस में यूनिलीवर और ITC जैसे दिग्गजों को सीधी चुनौती देने के लिए तैयार है। अलग कंपनी बनाकर RIL एक नया प्लेटफॉर्म तैयार कर रही है, जो निवेशकों के लिए भी आकर्षक होगा और मार्केट में ब्रांड की स्थिति को भी सशक्त करेगा।