भारतीय बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने निवेशकों को एक अहम सलाह दी है। सेबी ने कहा है कि कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स द्वारा प्रचारित ‘डिजिटल गोल्ड’ या ‘ई-गोल्ड’ योजनाएं उसके नियामक दायरे में नहीं आतीं। ऐसे में निवेशकों को इसमें पैसा लगाने से पहले सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि ये योजनाएं सुरक्षा और नियमों के दायरे से बाहर हैं।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से बढ़ रहा है ई-गोल्ड का चलन
पिछले कुछ सालों में भारत में डिजिटल गोल्ड या ई-गोल्ड में निवेश करने का चलन काफी बढ़ गया है। PhonePe, Google Pay, Paytm, Tanishq, SafeGold और MMTC-PAMP जैसे प्लेटफॉर्म्स ऑनलाइन सोने की खरीद-बिक्री की सुविधा देते हैं। इन कंपनियों का दावा है कि निवेशक जो भी सोना खरीदते हैं, वह असली सोने से समर्थित होता है और सुरक्षित वॉल्ट्स (तिजोरियों) में रखा जाता है। लेकिन, SEBI का कहना है कि इस तरह की योजनाएं न तो SEBI द्वारा पंजीकृत हैं और न ही इन पर निवेशक सुरक्षा प्रावधान लागू होते हैं।
SEBI का स्पष्ट संदेश: यह निवेश उसके नियमों के तहत नहीं आता
SEBI ने अपने बयान में कहा कि डिजिटल गोल्ड को अक्सर सोने में निवेश का आसान विकल्प बताकर बढ़ावा दिया जा रहा है। हालांकि, ये उत्पाद सेबी द्वारा नियंत्रित किसी भी सिक्योरिटी या कमॉडिटी डेरिवेटिव के तहत नहीं आते। इसका मतलब है कि अगर निवेशकों को इस प्रकार के निवेश में नुकसान होता है, तो सेबी उनकी मदद या सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर पाएगी।
नियामक संस्था ने चेतावनी दी है कि डिजिटल गोल्ड में निवेश करने से काउंटरपार्टी (लेनदेन के दूसरे पक्ष) और संचालन से जुड़े जोखिम बढ़ सकते हैं। यानी अगर सोना बेचने वाली कंपनी किसी कारणवश असफल होती है, तो निवेशक को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।
डिजिटल गोल्ड बनाम सेबी-नियंत्रित निवेश विकल्प
SEBI ने कहा है कि अगर निवेशक सोने में निवेश करना चाहते हैं, तो उन्हें नियामित और सुरक्षित विकल्पों की ओर रुख करना चाहिए। इनमें शामिल हैं:
गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (Gold ETFs) – जिन्हें म्यूचुअल फंड्स के माध्यम से खरीदा जा सकता है।
कमॉडिटी डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स – जो मान्यता प्राप्त एक्सचेंजों पर ट्रेड होते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीट्स (EGRs) – जिन्हें स्टॉक एक्सचेंजों पर खरीदा-बेचा जा सकता है।
इन सभी निवेश उत्पादों को सेबी नियंत्रित करती है और इनमें निवेशक सुरक्षा से जुड़े नियम लागू होते हैं।
डिजिटल गोल्ड में निवेश के फायदे और जोखिम
डिजिटल गोल्ड का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे ऑनलाइन आसानी से खरीदा और स्टोर किया जा सकता है, बिना किसी बैंक लॉकर या भौतिक सोने की सुरक्षा चिंता के। साथ ही, आप इसे बाद में ज्वेलरी, गोल्ड कॉइन या नकद रूप में रिडीम भी कर सकते हैं। लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण जोखिम भी हैं:
- यह नियामक सुरक्षा के दायरे में नहीं आता।
- प्लेटफॉर्म के असफल होने की स्थिति में आपका निवेश जोखिम में पड़ सकता है।
- डिजिटल गोल्ड पर जीएसटी (GST) लागू होता है।
- बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स या शॉर्ट-टर्म गेन टैक्स भी देना पड़ सकता है।
सेबी की सलाह: निवेश से पहले करें सही जांच
सेबी ने निवेशकों से अपील की है कि किसी भी डिजिटल या ऑनलाइन निवेश प्लेटफॉर्म पर पैसा लगाने से पहले उसकी पंजीकरण स्थिति और नियामक अनुमति की जांच करें। अगर निवेशक केवल डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की बातों पर भरोसा कर लेंगे, तो भविष्य में उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है।
सतर्क निवेश ही सुरक्षित निवेश
डिजिटल गोल्ड निवेश का नया और आकर्षक तरीका जरूर है, लेकिन इसके साथ जोखिम भी उतने ही बड़े हैं। सेबी की यह चेतावनी निवेशकों के लिए एक अहम याद दिलाने जैसा है कि किसी भी नए निवेश माध्यम में उतरने से पहले उसकी वैधता और सुरक्षा को समझना बेहद जरूरी है। अगर आप सोने में निवेश करना चाहते हैं, तो SEBI द्वारा अनुमोदित विकल्पों जैसे Gold ETFs या EGRs का चयन करें क्योंकि सुरक्षा और पारदर्शिता ही समझदार निवेशक की पहचान होती है।