भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को बढ़ावा देने के लिए अब तक की सबसे अहम घोषणा कर दी है। अब तक कार, बाइक और बसों के लिए सब्सिडी मिलती थी, लेकिन पहली बार भारी इलेक्ट्रिक ट्रकों (ई-ट्रक) को सब्सिडी देने का ऐलान किया गया है। यह योजना ‘पीएम ई-ड्राइव स्कीम’ के तहत लाई जा रही है, जिसकी घोषणा भारी उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने की है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य है – देश को प्रदूषण मुक्त बनाना और साल 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को पाना।
कितने ट्रकों पर मिलेगी सब्सिडी?
सरकार की योजना के मुताबिक, पहले चरण में 5,600 इलेक्ट्रिक ट्रक सड़क पर उतारे जाएंगे। इनमें से 1,100 ट्रक केवल दिल्ली में चलेंगे ताकि राजधानी की हवा को साफ किया जा सके। यह एक ऐतिहासिक कदम है, क्योंकि भारी ट्रकों से निकलने वाला धुआं सबसे बड़ा प्रदूषण स्रोत माना जाता है।
कौन से ट्रक आएंगे स्कीम के दायरे में?
इस स्कीम में दो तरह के ट्रक शामिल किए गए हैं –
1 – N2 श्रेणी – जिनका वजन 3.5 टन से 12 टन तक होता है
2 – N3 श्रेणी – जिनका वजन 12 टन से 55 टन तक होता है।
इन ट्रकों की बैटरी क्षमता और वजन के आधार पर सरकार प्रति ट्रक अधिकतम 9.6 लाख रुपये तक की सब्सिडी दे सकती है। यह राशि वाहन की खरीद कीमत से सीधे घटा दी जाएगी और बाद में निर्माता को सरकार की तरफ से भुगतान होगा।
वारंटी और स्क्रैप की शर्तें
इस योजना का लाभ लेने के लिए कुछ शर्तें भी रखी गई हैं :-
1- बैटरी पर 5 साल या 5 लाख किमी की वारंटी अनिवार्य होगी,
2 – वाहन और मोटर के लिए 2.5 लाख किमी या 5 साल की वारंटी देनी होगी,
3 – साथ ही, योजना का लाभ लेने के लिए पुराने डीज़ल ट्रक को स्क्रैप करना जरूरी होगा।
किन सेक्टरों को होगा सबसे अधिक फायदा?
यह योजना खासतौर पर सीमेंट, स्टील, पोर्ट और लॉजिस्टिक्स सेक्टर के लिए फायदेमंद है। SAIL (Steel Authority of India Ltd) ने पहले ही 150 ई-ट्रक खरीदने की योजना बना ली है और आने वाले समय में 15 फीसदी वाहन इलेक्ट्रिक करने का लक्ष्य रखा है।
‘मेक इन इंडिया’ को मिलेगा ज़ोर
इस स्कीम से भारत में बने इलेक्ट्रिक ट्रकों को बढ़ावा मिलेगा। टाटा मोटर्स, अशोक लीलैंड जैसी कंपनियां पहले से EV ट्रक बना रही हैं। सरकारी सहयोग मिलने से इन कंपनियों को ताकत मिलेगी और आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी नई रफ्तार मिलेगी। इस स्कीम से पर्यावरण को फायदा होगा, साथ ही यह भारत की लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए एक बड़ा अवसर भी है।