मध्य प्रदेश के बुरहानपुर शहर से आने वाले मुर्तजा अमीन की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। एक साधारण परिवार, सीमित संसाधन और बड़ी चुनौतियों के बावजूद उन्होंने जो मुकाम हासिल किया, वो आज देशभर के युवाओं को प्रेरित कर रहा है। उनके पिता एक इलेक्ट्रीशियन थे और परिवार की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं थी। लेकिन मुर्तजा के सपने बड़े थे और उन्होंने उन्हें साकार भी किया।
इंजीनियरिंग छोड़कर मुंबई की ओर रुख
मुर्तजा ने 19 साल की उम्र में इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में छोड़ दी और बेहतर मौके की तलाश में मुंबई चले गए। यहां उन्होंने टेक प्लेटफॉर्म PriceBaba में इंटर्नशिप की, जहां उन्हें डेटा से जुड़े काम करने का मौका मिला। यहीं से उन्हें डेटा की ताकत का अंदाज़ा हुआ – कि सही डेटा कैसे किसी भी बिजनेस को बढ़ा सकता है। इसी दौरान उन्होंने यह ठान लिया कि वे भविष्य में इसी क्षेत्र में कुछ बड़ा करेंगे।
तीन लाख के लोन से कंपनी की शुरुआत
साल 2013 में मुर्तजा ने अपने एक अमेरिकी क्लाइंट से 3 लाख रुपये का लोन लिया और बुरहानपुर लौटकर अपनी कंपनी “BizProspex” की नींव रखी। शुरू में वो अकेले ही सब कुछ करते थे – क्लाइंट मैनेजमेंट से लेकर डेटा प्रोसेसिंग तक। लेकिन उनका लक्ष्य साफ था – बुरहानपुर में रहकर एक सफल कंपनी खड़ी करनी है।
मुंबई से वापसी और बुरहानपुर में नया आगाज़
मुंबई में काम करते हुए मुर्तजा ने कुछ सेविंग की थी और फिर अमेरिकी ग्राहक से मिले भरोसे और लोन के साथ बुरहानपुर लौट आए। उन्होंने वहां कर्मचारियों की छोटी सी टीम बनाई और अपना काम शुरू किया। उन्होंने यह साबित कर दिया कि सफल होने के लिए बड़े शहर में रहना ज़रूरी नहीं – अगर इरादा मजबूत हो तो छोटे शहर से भी बड़ा कारोबार खड़ा किया जा सकता है।
बढ़ता कारोबार, बढ़ता भरोसा
BizProspex ने धीरे-धीरे रफ्तार पकड़नी शुरू की। साल 2017 में कंपनी ने 1 करोड़ रुपये का टर्नओवर पार कर लिया। फिर कोरोना महामारी के दौरान जब डेटा की मांग अचानक तेजी से बढ़ी, तो मुर्तजा की कंपनी ने इस मौके को बखूबी भुनाया। 2020 में कंपनी का टर्नओवर 5 करोड़ तक पहुंच गया और 2024-25 के वित्तीय वर्ष में यह आंकड़ा 8 करोड़ रुपये हो गया।
ग्राहक देश नहीं, दुनिया भर से
आज कंपनी के 98 फीसदी क्लाइंट भारत के बाहर हैं – अमेरिका, जापान, यूरोप और मध्य पूर्व जैसे देशों से। कंपनी B2B डेटा मेंबरशिप मॉडल पर काम करती है, जिससे ग्राहक मासिक या वार्षिक सदस्यता लेकर डेटा सेवाएं खरीद सकते हैं। यह मॉडल ग्राहकों के लिए आसान और सुलभ बना दिया गया है।
स्थानीय प्रतिभा को मौका और महिलाओं को प्राथमिकता
मुर्तजा ने बुरहानपुर की लोकल टैलेंट को तराशने का बीड़ा उठाया। जहां पेशेवर ट्रेनिंग की सुविधा सीमित थी, वहां उन्होंने खुद लोगों को प्रशिक्षित किया। खासतौर पर उन्होंने महिलाओं को अवसर दिया और उनके लिए ऐसा वर्क कल्चर बनाया, जिसमें वे घर और ऑफिस दोनों को संतुलित कर सकें। महिलाओं को हाफ-डे वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दी गई, जिससे उन्हें पारिवारिक जिम्मेदारियों और काम में संतुलन बनाने में मदद मिली।
कम खर्च, ज़्यादा स्थायित्व
मुर्तजा ने बिना किसी बाहरी निवेश के, सिर्फ अपनी सेवाओं से कंपनी को बढ़ाया। उन्होंने निवेशकों की फंडिंग पर निर्भर न रहकर मुनाफे से ही कंपनी का विस्तार किया। इसका असर यह हुआ कि कंपनी के कर्मचारी स्थायित्व से जुड़े रहे – कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने की दर लगभग शून्य है।
जुनून, मेहनत और सोच का नतीजा
मुर्तजा अमीन की सफलता हमें सिखाती है कि सिर्फ पैसे या बड़े शहर ही नहीं, बल्कि साफ सोच, कड़ी मेहनत और सही रणनीति से भी एक शानदार बिजनेस खड़ा किया जा सकता है। यह कहानी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों में कुछ बड़ा करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी साबित किया कि आत्मनिर्भर भारत सिर्फ नारा नहीं, एक हकीकत बन सकती है अगर इरादे मजबूत हों।