भारत में चीनी उद्योग एक बार फिर तेज़ी से आगे बढ़ने की तैयारी में है। भारतीय चीनी और जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (ISMA) के ताज़ा पूर्वानुमान के अनुसार, अक्टूबर 2025 से शुरू होने वाले नए सीजन में भारत का चीनी उत्पादन 18 फीसदी बढ़कर 34.90 मिलियन टन तक पहुंच सकता है। यह अनुमान दर्शाता है कि भारत, दुनिया के प्रमुख चीनी उत्पादक देशों में अपनी पकड़ और मजबूत करने जा रहा है।
मौजूदा सीजन में कैसा रहा प्रदर्शन
अगर वर्तमान यानी 2024-25 सीजन की बात करें, तो ISMA ने 2.61 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान जताया है। इसका मतलब है कि आने वाले सीजन में करीब 88 लाख टन ज्यादा चीनी बनने की संभावना है। इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण गन्ने की अधिक पैदावार और बढ़े हुए कृषि रकबे को माना जा रहा है।
इथेनॉल के लिए भी इस्तेमाल होगी बड़ी मात्रा
चीनी उत्पादन में बढ़ोतरी का एक अहम हिस्सा अब इथेनॉल उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। ISMA के अनुसार, 2025-26 में लगभग 50 लाख टन चीनी इथेनॉल बनाने में प्रयोग की जाएगी, जबकि मौजूदा सीजन में यह आंकड़ा 35 लाख टन है। यह कदम भारत सरकार के पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने के मिशन को सीधा समर्थन देता है।
चीनी निर्यात में भी दिखेगा उछाल
उत्पादन बढ़ने का फायदा निर्यात में भी नजर आ सकता है। ISMA ने अनुमान जताया है कि 2025-26 में भारत करीब 20 लाख टन चीनी का निर्यात कर सकता है। मौजूदा सीजन में सरकार ने केवल 10 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति दी है। इसी को देखते हुए उद्योग संगठन सरकार से समय पर निर्यात अनुमति देने की मांग भी कर रहा है।
किसानों को मिलेगा सीधा लाभ
इथेनॉल उत्पादन और चीनी निर्यात में बढ़ोतरी से देश के गन्ना किसानों को सीधे लाभ मिल सकता है। समय पर भुगतान, बेहतर खरीद मूल्य और स्थिर मांग से किसान आर्थिक रूप से सशक्त हो सकते हैं। ISMA अध्यक्ष गौतम गोयल का कहना है कि बी-ग्रेड शीरा और गन्ने के रस से बनने वाले इथेनॉल और चीनी के लिए न्यूनतम बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी की उम्मीद है, जिससे उद्योग और किसानों दोनों को सहारा मिलेगा।
कौन से राज्य होंगे उत्पादन में आगे
2025-26 सीजन के दौरान चीनी उत्पादन में सबसे ज़्यादा वृद्धि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख राज्यों में देखने को मिलेगी। अनुमान के मुताबिक:
उत्तर प्रदेश – 10.25 मिलियन टन
महाराष्ट्र – 13.26 मिलियन टन
कर्नाटक – 6.61 मिलियन टन
इस उत्पादन वृद्धि के पीछे कारण हैं – अच्छा मानसून, बेहतर रिकवरी रेट और बढ़ी हुई गन्ने की बुवाई।
क्या कहता है ISMA का डेटा
ISMA के मुताबिक, 30 अप्रैल 2025 तक 27 लाख टन चीनी इथेनॉल निर्माण के लिए इस्तेमाल की जा चुकी है। बाकी सीजन में 6 से 7 लाख टन अतिरिक्त चीनी और प्रयोग की जा सकती है। ये आंकड़े दिखाते हैं कि इथेनॉल आधारित ईंधन नीति को चीनी उद्योग से निरंतर समर्थन मिल रहा है।
चीनी उत्पादन, निर्यात और इथेनॉल उपयोग को लेकर भारत में जो रणनीति अपनाई जा रही है, वह न केवल उद्योग को स्थायित्व देती है, बल्कि किसानों, सरकार और आम जनता – तीनों के लिए फायदे का सौदा बनती है। अगर योजनाओं पर अमल इसी तरह जारी रहा, तो भारत आने वाले वर्षों में वैश्विक चीनी व्यापार में और अधिक अहम भूमिका निभा सकता है।