सेवा से सेवानिवृत्ति तक की इस यात्रा को एक मिशन में बदल देना ही असली वीरता है” — यही कहानी है पून चंदारिया की, जिन्होंने CRPF में 21 वर्षों तक सेवा देने के बाद जब जनवरी 2012 में VRS लिया, तो एक नई ज़िंदगी की नींव रखी — एक ऐसा मिशन, जो आज लाखों जवानों की जिंदगी बदल रहा है।
सेवा से शुरुआत: CRPF में दो दशक
CRPF में सेवा के दौरान उन्होंने महसूस किया कि एक सैनिक के लिए सबसे कठिन दौर उसकी रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी होती है। परिवार की जिम्मेदारियां, बच्चों की पढ़ाई, नौकरी की तलाश – सब कुछ नया और अकेले। इसी पीड़ा को समझते हुए उन्होंने जवानों के लिए कुछ करने की ठानी।
VRS के बाद: संघर्ष और अनुभव
2012 में VRS लेने के बाद उन्होंने कई निजी कंपनियों में काम किया — कैंट, डाबर और दुबई की एक कंपनी। इन वर्षों में उन्हें समझ आया कि सच्चा सुकून दूसरों के जीवन में बदलाव लाने से आता है, सिर्फ व्यापार से नहीं।
अर्ध सैनिक वेलफेयर ट्रस्ट: जवानों के लिए समर्पित सेवा
2015 में उन्होंने शुरू किया अर्ध सैनिक वेलफेयर ट्रस्ट, जिसका उद्देश्य जवानों और उनके परिवारों को सेकंड करियर, शिक्षा, आईटीआर फाइलिंग, लीगल हेल्प और डिजिटल गाइडेंस देना है। ट्रस्ट की हेल्पलाइन अब तक 4 लाख से अधिक कॉल्स अटेंड कर चुकी है। यह सेवा न केवल रिटायर्ड जवानों के लिए है, बल्कि वर्तमान में सर्विस में जवानों के परिवारों के लिए भी सहारा बन चुकी है।
मेक इन इंडिया से आत्मनिर्भर भारत तक
अर्ध सैनिक वेलफेयर ट्रस्ट का काम केवल व्यक्तिगत सहायता तक सीमित नहीं है। यह ट्रस्ट:
- MSME सेक्टर में जवानों को बिज़नेस गाइडेंस देता है
- गांव तक डिजिटल इंडिया की सोच को आगे बढ़ा रहा है
- आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत पूर्व सैनिकों को उद्यमिता के लिए प्रेरित करता है
“आओ मिलकर आगे बढ़ें” — पून चंदारिया
“देश की सेवा केवल वर्दी में ही नहीं, वर्दी के बाद भी जारी रह सकती है बस जरूरत है एक दिशा की, एक हेल्पलाइन की” – पून चंदारिया, फाउंडर चेयरमैन, अर्ध सैनिक वेलफेयर ट्रस्ट
फर्श से अर्श तक सीख:
- सैनिक कभी रिटायर नहीं होता, वो हर पड़ाव पर देश की सेवा करता है।
- सोच बदलो, दिशा मिलेगी।
- एक कॉल से भी बदलाव शुरू हो सकता है।