लखनऊ। उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र को नई दिशा देने की पहल के तहत भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) उत्तर प्रदेश ने राजधानी लखनऊ में 7वें उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन का आयोजन किया। इस वर्ष की थीम थी – “स्वस्थ भारत, समर्थ भारत : साथ मिलकर एक स्वस्थ भविष्य की ओर”, जो राज्य सरकार, उद्योग जगत और नागरिकों की सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
नीति-निर्माण से लेकर जमीनी क्रियान्वयन तक
सम्मेलन के मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बीते सात वर्षों में प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में हुई ऐतिहासिक प्रगति को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि राज्य में 17 नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना, ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों का सशक्तिकरण और सुपर-स्पेशियलिटी सुविधाओं का विस्तार जैसे कदम उठाए गए हैं।
उन्होंने “ई-संजीवनी ऐप”, जच्चा-बच्चा केंद्र और प्राथमिक देखभाल सेवाओं की उपलब्धता जैसे डिजिटल व ग्राउंड लेवल प्रयासों पर ज़ोर देते हुए कहा कि सरकार की प्राथमिकता समय पर, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करना है – विशेषकर महिलाओं, बच्चों और वंचित समुदायों के लिए।
डिजिटल हेल्थ और डेटा-संचालित पारदर्शिता की ओर
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की सचिव ऋतु महेश्वरी ने प्रदेश में चल रही डिजिटल हेल्थ पहलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) और FACTA जैसी योजनाओं के जरिए डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड, हेल्थ प्रोफेशनल्स की ट्रैकिंग और इंटरऑपरेबल सिस्टम तैयार किए जा रहे हैं। अब तक प्रदेश में 14 करोड़ से अधिक ABHA IDs, 68 हजार से अधिक संस्थाओं का पंजीकरण और 97 हजार से अधिक हेल्थ प्रोफेशनल्स का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है। उन्होंने ज़ोर दिया कि स्वास्थ्य सेवाओं को समान और सर्वसुलभ बनाने के लिए सामुदायिक कार्यकर्ताओं की ट्रेनिंग, बुनियादी ढांचे में निवेश और तकनीकी नवाचार बेहद जरूरी हैं।
निजी क्षेत्र और नवाचार की भागीदारी
CII उत्तर प्रदेश की चेयरपर्सन डॉ. उपासना अरोड़ा, जो इस शिखर सम्मेलन की अध्यक्ष भी थीं, ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाएं न केवल समाज की आवश्यकता हैं, बल्कि आर्थिक विकास और रोजगार का भी प्रमुख आधार बन चुकी हैं। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में डिजिटल हेल्थ, आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं और निजी क्षेत्र के निवेशों ने सेक्टर को नई गति दी है। CII की भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि संगठन सरकार, शिक्षा जगत और उद्योग के साथ मिलकर नीतिगत सहयोग, स्किल डेवलपमेंट और स्थानीय समाधान तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है।
साझेदारी और स्थायी मॉडल की जरूरत
CII उत्तरी क्षेत्रीय स्वास्थ्य समिति के चेयरमैन डॉ. धर्मेन्द्र नागर ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर ट्रांसपेरेंट और आउटपुट-बेस्ड मॉडल्स तैयार करने होंगे। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सिर्फ सेवा नहीं, बल्कि दीर्घकालिक निवेश है, जो समाज को सशक्त बनाता है।
स्वास्थ्य सेवाओं की जड़ों को मजबूत करना
POCT ग्रुप के चेयरमैन सौरभ गर्ग ने बताया कि उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHCs और CHCs) की बुनियादी संरचना पर ध्यान देना अनिवार्य है। POCT ग्रुप, CII और राज्य सरकार के साथ मिलकर इस दिशा में कार्य कर रहा है।
स्वास्थ्य सभी की जिम्मेदारी है
PSI इंडिया के कार्यकारी निदेशक मुकेश कुमार शर्मा ने कहा कि सरकार ने निरामया, ई-संजीवनी, आयुष्मान भारत, पीएमएसएमए जैसी योजनाओं से हर नागरिक तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने की दिशा में सराहनीय कार्य किया है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य केवल सरकार की नहीं, समाज के हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है।
180+ प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी
इस सम्मेलन में 180 से अधिक उद्योग प्रतिनिधियों ने भाग लिया और उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य प्रणाली को अधिक समावेशी, नवाचारी और टिकाऊ बनाने पर विचार साझा किए। सभी ने एकमत से स्वीकार किया कि अगर सरकार, उद्योग और समाज एकजुट होकर प्रयास करें, तो “स्वस्थ भारत, समर्थ भारत” का सपना जल्द ही साकार हो सकता है।