नई दिल्ली केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तुत “विकसित भारत 2047″ मिशन के समर्थन में देश में प्रतिभा और क्षमता निर्माण को लेकर ठोस कदम उठाने का आह्वान किया है। उन्होंने उद्योग जगत के प्रमुखों और शिक्षाविदों की एक महत्वपूर्ण बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को विनिर्माण क्षेत्र में आगे ले जाने के लिए हमें भविष्य के लिए तैयार कार्यबल विकसित करना होगा।
प्रतिभा विकास और दीर्घकालिक निर्माण क्षमता
इस बैठक में स्थानीय स्तर पर कार्यवाही के साथ-साथ वैश्विक दृष्टिकोण को भी शामिल करते हुए दीर्घकालिक निर्माण और कौशल विकास पर चर्चा की गई। श्री वैष्णव ने विनिर्माण, अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी (एमईटी) के एक नए क्षेत्र की सराहना की, जिसे नेमटेक और मेट इनोवेशन स्कूल के तहत शुरू किया गया है। इस पहल का उद्देश्य उद्योग 4.0 और उससे आगे की तकनीकी जरूरतों के अनुसार हाई-स्किल्ड वर्कफोर्स तैयार करना है। यह कार्यक्रम भारत सरकार की डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन और पीएलआई योजनाओं जैसे प्रमुख कार्यक्रमों के साथ समन्वय में है और भारत को वैश्विक विनिर्माण हब बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।
प्रौद्योगिकी मिशनों से मिल रही मजबूती
भारत सरकार ने हाल ही में भारत सेमीकंडक्टर मिशन, एआई मिशन, राष्ट्रीय रोबोटिक्स रणनीति, मोबिलिटी मैन्युफैक्चरिंग मिशन और राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन जैसे कई बड़े तकनीकी मिशन शुरू किए हैं, जो भारत को उन्नत तकनीक में अग्रणी बनाने के प्रयासों को दर्शाते हैं। इसके साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक और डिजिटल कौशल को बढ़ावा देने पर जोर देती है।
कौशल विकास के लिए ठोस ढांचा तैयार
सरकार ने कौशल भारत डिजिटल हब, आईटीआई उन्नयन योजना, चिप टू स्टार्टअप कार्यक्रम और राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना (NAPS) जैसे कई स्किल-संबंधी कार्यक्रम भी शुरू किए हैं। ये सभी उद्योग की ज़रूरतों के अनुसार कौशल विकास पर केंद्रित हैं और समावेशी, उद्योग-उन्मुख मॉडल को बढ़ावा देते हैं।
वैष्णव का उद्योग को संदेश
कार्यक्रम के दौरान श्री वैष्णव ने नेमटेक और एमआईटी टीम की सराहना करते हुए इसे विश्व स्तरीय उन्नत विनिर्माण संस्थान के रूप में देखा और कहा कि इसमें भारतीय उद्योग की भागीदारी बहुत जरूरी है। उन्होंने सुजुकी, सीमेंस, एबीबी, आईनॉक्स जैसी कंपनियों के योगदान की प्रशंसा करते हुए इन्हें इस मिशन का मजबूत स्तंभ बताया।
उन्होंने “गति शक्ति” मंच की सफलता का उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे कंपनियों ने बिना वित्तीय निवेश के ज्ञान-साझाकरण के माध्यम से रोजगार-उन्मुख पाठ्यक्रम तैयार किए। उन्होंने ऐसे मॉडल को देशभर में दोहराने का सुझाव दिया ताकि पहले दिन से ही युवाओं को रोजगार मिल सके।