उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों की आमदनी बढ़ाने और प्रदेश में तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ी योजना की शुरुआत की है। इसके तहत तोरिया फसल की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए मुफ्त बीज मिनीकिट दिए जा रहे हैं। यह योजना उन किसानों के लिए खास मौका है, जो कम लागत में अच्छी कमाई करना चाहते हैं। योजना के तहत किसानों को 2 किलोग्राम प्रमाणित बीज का मिनीकिट बिल्कुल मुफ्त मिलेगा।
15 अगस्त तक है आवेदन का मौका
राज्य सरकार के कृषि विभाग द्वारा संचालित इस योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया 1 अगस्त से शुरू हो चुकी है, जो 15 अगस्त 2025 तक चलेगी। किसा agridarshan.up.gov.in पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि केवल पंजीकृत किसान ही इस योजना का लाभ ले सकते हैं।
मिनीकिट मिलेगा सिर्फ एक, चयन होगा लॉटरी से
इस योजना में हर किसान को केवल एक बीज मिनीकिट ही दिया जाएगा। यदि आवेदन संख्या निर्धारित लक्ष्य से अधिक हो जाती है, तो ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से लाभार्थियों का चयन किया जाएगा। चयनित किसानों को बीज का वितरण संबंधित राजकीय कृषि बीज भंडार से POS मशीन के माध्यम से किया जाएगा, जिससे पारदर्शिता बनी रहे।
सेहतमंद समाज के लिए तिलहन की खेती
तिलहन जैसे तिल, तोरिया, सूरजमुखी, मूंगफली और सोयाबीन न सिर्फ खाद्य तेलों का प्रमुख स्रोत हैं, बल्कि इनमें मौजूद पोषक तत्व सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद होते हैं। तिलहन का सेवन हृदय रोग, कैंसर और अन्य बीमारियों के खतरे को कम करता है। ऐसे में सरकार की यह पहल केवल किसानों के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए लाभकारी साबित हो सकती है।
तोरिया की खेती: कम लागत, ज्यादा मुनाफा
तोरिया फसल की एक खासियत यह है कि इसे कम लागत में उगाया जा सकता है और इससे बेहतर उपज भी मिलती है। सही तकनीक और समय पर बुवाई करने से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं। खेती से पहले एक बार मिट्टी पलटने वाला हल, फिर 2-3 बार देसी हल से जुताई कर खेत को भुरभुरा बना लेना चाहिए।
बीज की मात्रा और बीजोपचार जरूरी
4 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर बुवाई के लिए पर्याप्त होता है। रोगों से सुरक्षा के लिए बीज को 25 ग्राम थीरम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करना चाहिए। हमेशा प्रमाणित और संशोधित बीज का ही उपयोग करें।
बुवाई का सही समय और विधि
तोरिया की बुवाई सितंबर के पहले पखवाड़े में कर देनी चाहिए, ताकि बाद में गेहूं की फसल ली जा सके। ‘भवानी’ प्रजाति की बुवाई सितंबर के दूसरे पखवाड़े में करें। देशी हल से कतारों में बुवाई करें, कतारों की दूरी 30 सेमी और बीज की गहराई 3-4 सेमी होनी चाहिए।
प्रमुख उन्नत किस्में और उत्पादन क्षमता
प्रजाति | उत्पादन क्षमता (कु./हे.) | पकने की अवधि (दिन) |
---|---|---|
टा-36 (पीली) | 10-12 | 95-100 |
टा-9 (काली) | 12-15 | 90-95 |
भवानी (काली) | 10-12 | 75-80 |
पीटी-303 (काली) | 15-18 | 90-95 |
पीटी-30 (काली) | 14-16 | 90-95 |
निराई-गुड़ाई और सिंचाई पर दें ध्यान
बुवाई के 15 दिन बाद घने पौधों को निकालें ताकि पौधों की आपसी दूरी 10-15 सेमी रहे। खरपतवार नियंत्रण के लिए 3.3 लीटर/हे. पेन्डीमेथलीन 30% का छिड़काव बुवाई के 3 दिन के भीतर करें। सिंचाई फूल निकलने और दाना भरने की अवस्था पर जरूर करें। अगर केवल एक बार सिंचाई कर सकें, तो यह बुवाई के 25-30 दिन बाद करें।
कटाई और भंडारण की विधि
जब 75 फीसदी फलियां सुनहरी हो जाएं, तो तुरंत फसल काटकर, सुखाकर और मड़ाई कर लें। देर करने पर बीज झड़ सकते हैं। बीजों को अच्छी तरह सुखाकर ही संग्रहित करें।
आत्मनिर्भर किसान, स्वस्थ समाज
तोरिया बीज मिनीकिट योजना उत्तर प्रदेश सरकार की एक व्यवस्थित, समयबद्ध और पारदर्शी पहल है। यह योजना किसानों की आय बढ़ाने, सेहतमंद खाद्य तेल के उत्पादन को बढ़ावा देने और तिलहन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम है। किसान इस योजना का लाभ उठाकर कम लागत में बेहतर उत्पादन पा सकते हैं और देश के विकास में अपना योगदान दे सकते हैं।