Opium Farming Policy: केंद्र सरकार ने अफीम पोस्त (Opium Poppy) की खेती के लिए वार्षिक लाइसेंसिंग पॉलिसी का ऐलान कर दिया है। यह पॉलिसी अक्टूबर 2025 से सितंबर 2026 तक लागू रहेगी। नई पॉलिसी के तहत, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसानों को लाइसेंस दिए जाएंगे। इस बार किसानों के लिए लाइसेंस में 23.5 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है और लगभग 1.21 लाख किसानों को खेती की अनुमति मिलेगी।
15 हजार नए किसान जुड़ेंगे खेती से
सरकार के इस फैसले से किसानों को बड़ी राहत मिली है। पिछले साल की तुलना में इस बार 15 हजार अतिरिक्त किसानों को शामिल किया गया है। यानी नए किसानों को भी अफीम की खेती का अवसर मिलेगा। इससे न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि देश में अफीम आधारित औषधियों की मांग पूरी करने में मदद भी मिलेगी।
क्यों जरूरी है अफीम की खेती?
भारत सरकार अफीम की खेती को सख्त नियमों के तहत नियंत्रित करती है। इसका मुख्य उद्देश्य है – दवा उद्योग की ज़रूरतों को पूरा करना। अफीम से निकलने वाला एल्कलॉइड (Alkaloid) कई जीवन रक्षक दवाओं के निर्माण में काम आता है। सरकार अब आत्मनिर्भरता और स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने पर भी जोर दे रही है, ताकि आयात पर निर्भरता घटाई जा सके।
किन किसानों को मिलेगा मौका?
नई पॉलिसी में साफ किया गया है कि ऐसे मौजूदा किसान जिनकी मॉर्फिन उपज 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या उससे ज्यादा है, उन्हें लाइसेंस जारी रहेंगे। जिन किसानों की उपज 3.0 से 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के बीच है, वे अब CPS (Concentrated Poppy Straw) पद्धति के तहत खेती कर सकेंगे। इस विधि में चीरा लगाने की ज़रूरत नहीं होती। वहीं बेहतर उपज देने वाले किसानों को आगे भी अफीम गोंद की पारंपरिक खेती जारी रखने का विकल्प मिलेगा।
जिन किसानों के लाइसेंस होंगे निलंबित
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन किसानों ने पिछले साल 800 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की न्यूनतम उपज (MQY) हासिल नहीं की, उनके लाइसेंस 2025-26 फसल वर्ष के लिए निलंबित कर दिए जाएंगे। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि खेती की उत्पादकता और गुणवत्ता बनी रहे।
रिकॉर्ड और पारदर्शिता में सुधार
नई पॉलिसी में एक और खास बात यह है कि अब 1995-96 से किसानों का पूरा डेटा डिजिटाइज कर दिया गया है। यानी कंप्यूटराइज्ड रिकॉर्ड से यह देखा जा सकेगा कि कौन किसान कितने वर्षों से खेती कर रहा है और उसका प्रदर्शन कैसा रहा है। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि छोटे और सीमांत किसानों को भी लाभ मिलेगा।
ज्यादा पैदावार करने वालों को इनाम
सरकार ने उन किसानों को प्रोत्साहन देने का फैसला किया है जिन्होंने 900 किलोग्राम/हेक्टेयर या उससे अधिक उपज हासिल की है। इन किसानों को पारंपरिक अफीम गोंद की खेती करने की अनुमति दी जाएगी। इसका उद्देश्य है :–
– किसानों को बेहतर उत्पादन के लिए प्रेरित करना।
– अवैध स्रोतों से अफीम के उपयोग के खतरे को कम करना।
– खेती से सरकार और किसान दोनों को अधिक लाभ मिलना।
अल्कलॉइड उत्पादन क्षमता बढ़ाने की तैयारी
सरकार सिर्फ खेती तक ही सीमित नहीं है बल्कि वह अपने अफीम और अल्कलॉइड कारखानों की क्षमता बढ़ाने पर भी काम कर रही है। हाल ही में नीमच स्थित सरकारी अल्कलॉइड फैक्ट्री को WHO से GMP सर्टिफिकेशन मिला है। इसका मतलब है कि यहां बनी दवाओं की क्वालिटी अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी उतरती है। सरकार का लक्ष्य है कि भारतीय फार्मा कंपनियों को Alkaloid APIs और formulations में मदद दी जाए और “Make for World” विजन को आगे बढ़ाया जाए।
किसानों और उद्योग दोनों को फायदा
नई पॉलिसी से एक तरफ किसानों को स्थायी आय का स्रोत मिलेगा, वहीं दूसरी तरफ देश की दवा कंपनियों को घरेलू स्तर पर ही पर्याप्त कच्चा माल मिल सकेगा। इससे विदेशी निर्भरता घटेगी और भारत वैश्विक स्तर पर मादक औषधियों के उत्पादन में और मजबूत होगा। कुल मिलाकर सरकार की यह नई अफीम खेती पॉलिसी 2025-26 किसानों, उद्योग और देश तीनों के लिए महत्वपूर्ण कदम है। किसानों को लाइसेंस में बढ़ोतरी से लाभ मिलेगा, चिकित्सा क्षेत्र को ज़रूरी कच्चा माल मिलेगा और भारत की दवा उद्योग को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाया जाएगा। कुल मिलाकर, यह पॉलिसी किसानों की आमदनी बढ़ाने और वैश्विक स्तर पर भारत की भूमिका मजबूत करने का बड़ा प्रयास है।