भारत के सिविल एविएशन सेक्टर में इतिहास रचने वाला कदम उठाया गया है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और रूस की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन (UAC) के बीच एक बड़ा करार हुआ है, जिसके तहत अब भारत में पैसेंजर एयरक्राफ्ट SJ-100 का निर्माण किया जाएगा। यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने की दिशा में एक महत्वपूर्ण छलांग है।
मॉस्को में हुआ बड़ा समझौता
27 अक्टूबर 2025 को मॉस्को में इस करार पर हस्ताक्षर किए गए। भारत की ओर से एचएएल के प्रभात रंजन, जबकि रूस की ओर से यूएसी के मिस्टर ओलेग बोगोमोलोव ने MoU साइन किया। इस समझौते के तहत HAL को भारत में SJ-100 एयरक्राफ्ट बनाने का अधिकार मिलेगा। यह पहली बार होगा जब भारत में पूरी तरह से पैसेंजर एयरक्राफ्ट का निर्माण किया जाएगा। आखिरी बार HAL ने AVRO HS-748 एयरक्राफ्ट का निर्माण 1961 से 1988 के बीच किया था। यानी, करीब चार दशकों बाद भारत फिर से पैसेंजर विमान निर्माण के क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है।
क्या है SJ-100 एयरक्राफ्ट?
SJ-100 एक ट्विन-इंजन, नैरो-बॉडी पैसेंजर जेट है, जिसे रूस की कंपनी सुखोई (Sukhoi) ने विकसित किया है। अब तक दुनिया भर में 200 से अधिक SJ-100 विमान बनाए जा चुके हैं, जो 16 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय एयरलाइनों में ऑपरेट हो रहे हैं। इस विमान की खासियत है इसकी ईंधन दक्षता, आधुनिक डिजाइन और शॉर्ट-हॉल रूट्स के लिए परफेक्ट रेंज। यह 75–100 यात्रियों को आसानी से ले जा सकता है और भारत की क्षेत्रीय उड़ानों (regional routes) के लिए आदर्श साबित होगा।
UDAN योजना के लिए गेमचेंजर
भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘उड़े देश का आम नागरिक (UDAN)’ का उद्देश्य छोटे शहरों को हवाई नेटवर्क से जोड़ना है। SJ-100 जैसे विमान इस मिशन के लिए बेहद उपयोगी साबित होंगे, क्योंकि ये कम दूरी की उड़ानों (short-haul connectivity) के लिए डिजाइन किए गए हैं। यह विमान न सिर्फ छोटे शहरों के बीच हवाई कनेक्टिविटी बढ़ाएगा बल्कि क्षेत्रीय हवाई अड्डों को भी सक्रिय करेगा। इससे घरेलू यात्रियों को सस्ती और तेज हवाई सेवाओं का लाभ मिलेगा।
‘आत्मनिर्भर भारत’ का सपना होगा साकार
यह परियोजना भारत की एविएशन इंडस्ट्री में एक नया अध्याय जोड़ेगी। अब तक देश में पैसेंजर एयरक्राफ्ट का निर्माण नहीं हो पाता था और पूरी निर्भरता विदेशी कंपनियों पर थी। लेकिन अब SJ-100 का निर्माण भारत में होने से देश अपनी तकनीकी क्षमता और विमानन आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाएगा।
यह प्रोजेक्ट HAL के साथ पूरे भारतीय एविएशन सेक्टर के लिए मेक इन इंडिया की भावना को नई उड़ान देगा। साथ ही यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की तकनीकी विश्वसनीयता को और मजबूत करेगा।
रोज़गार और प्राइवेट सेक्टर को मिलेगा बढ़ावा
इस साझेदारी से भारतीय एविएशन इंडस्ट्री में हजारों प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। विमान निर्माण से जुड़े कई प्राइवेट वेंडर्स, सप्लायर और टेक्नोलॉजी पार्टनर्स को भी इसका लाभ मिलेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, अगले 10 वर्षों में भारत को 200 से अधिक क्षेत्रीय कनेक्टिविटी एयरक्राफ्ट और लगभग 350 जेट्स की आवश्यकता होगी, जो अंतरराष्ट्रीय टूरिज्म हब्स को जोड़ सकें। SJ-100 प्रोजेक्ट इस डिमांड को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगा।
भारत-रूस साझेदारी की नई उड़ान
HAL और UAC का यह करार भारत-रूस के बढ़ते भरोसे और तकनीकी सहयोग का प्रतीक है। दोनों देशों ने दशकों से रक्षा और अंतरिक्ष के क्षेत्र में साथ काम किया है और अब यह सहयोग सिविल एविएशन तक पहुंच गया है। रूस से मिलने वाली तकनीकी विशेषज्ञता और भारत की निर्माण क्षमता मिलकर एक ऐसे युग की शुरुआत करेंगी, जिसमें भारत दुनिया के पैसेंजर विमान बाजार में अपनी जगह बनाएगा।
भविष्य की उड़ान
SJ-100 के भारत में बनने से देश को न सिर्फ लागत में कमी मिलेगी, बल्कि यह निर्यात के अवसर भी खोलेगा। भविष्य में यह विमान दक्षिण एशिया और अफ्रीका जैसे उभरते बाजारों में भारतीय ब्रांड के रूप में बेचा जा सकता है। सरकार के “वोकल फॉर लोकल” और “मेक इन इंडिया” अभियानों को यह परियोजना नई ऊर्जा देगी। HAL और रूस की UAC के बीच हुआ यह करार भारत की विमानन यात्रा में ऐतिहासिक मोड़ है। यह एक तकनीकी समझौता है और आत्मनिर्भर भारत की उड़ान की शुरुआत भी जो आने वाले वर्षों में देश को दुनिया के सिविल एविएशन मानचित्र पर ऊंचाई तक ले जाएगी।