भारत के सबसे चर्चित कॉरपोरेट विवादों में से एक हिंडनबर्ग-अदाणी मामला आखिरकार अपने निष्कर्ष पर पहुँच गया है। बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI ) ने अदाणी समूह को इस मामले में क्लीन चिट देते हुए सभी आरोपों को खारिज कर दिया है।
SEBI का बड़ा फैसला
SEBI ने दो अलग-अलग आदेश जारी कर साफ कहा कि 2023 में अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोप साबित नहीं होते। इन आरोपों में समूह की कंपनियों पर धोखाधड़ी, पैसों के हेरफेर और संबंधित पक्षों के साथ अनुचित लेनदेन करने के गंभीर दावे किए गए थे। नियामक ने स्पष्ट किया कि अदाणी समूह की कंपनियों और हिंडनबर्ग द्वारा चिह्नित फर्मों जैसे एडिकॉर्प एंटरप्राइजेज, माइलस्टोन ट्रेडलिंक्स और रहवर इन्फ्रास्ट्रक्चर के बीच हुए लेनदेन को संबंधित पक्ष का लेनदेन नहीं माना जा सकता।
आरोप और SEBI की जांच
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अदाणी समूह ने एडिकॉर्प जैसी कंपनियों का इस्तेमाल पैसों की हेराफेरी और अपने शेयरों में हेरफेर के लिए किया। रिपोर्ट सामने आने के बाद अदाणी ग्रुप के शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई और निवेशकों को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। सेबी ने इस पर गहन जांच की और पाया कि 2024 में जारी कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) में जिन नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था, वे सही साबित नहीं हुए। इसमें सूचीबद्धता दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकताएं (LODR) और धोखाधड़ी रोकथाम विनियम (PFUTP) शामिल थे।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुई जांच
यह जांच SEBI ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद शुरू की थी। कोर्ट ने निर्देश दिया था कि अदाणी समूह से जुड़े सभी वित्तीय लेनदेन और संभावित उल्लंघनों की विस्तृत जांच की जाए। अब SEBI ने अपने निष्कर्ष में कहा है कि समूह या उसकी कंपनियों ने किसी भी नियामकीय मानदंड का उल्लंघन नहीं किया।
गौतम अदाणी की प्रतिक्रिया
SEBI के फैसले के बाद अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा, “पारदर्शिता और ईमानदारी हमेशा से अदाणी समूह की पहचान रही है। हम उन निवेशकों के दर्द को गहराई से महसूस करते हैं जिन्होंने इस प्रेरित और झूठी रिपोर्ट के कारण पैसे गंवाए। झूठ फैलाने वालों को देश से माफी मांगनी चाहिए।”
हिंडनबर्ग रिपोर्ट का असर
साल 2023 में आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने भारतीय शेयर बाजार को हिला दिया था। रिपोर्ट जारी होने से पहले अदाणी समूह की कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 19.2 लाख करोड़ रुपये था, जो फरवरी 2023 तक घटकर 6.8 लाख करोड़ रुपये रह गया। हालांकि अब स्थिति सुधरी है और समूह की कंपनियों का मार्केट कैप बढ़कर 13.6 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह निवेशकों के भरोसे की वापसी और समूह की स्थिरता का संकेत है।
एडिकॉर्प और अन्य कंपनियों पर निष्कर्ष
सेबी की जांच में सामने आया कि एडिकॉर्प के 66 फीसदी निकासी और 67 फीसदी जमा लेनदेन अदाणी समूह से जुड़े थे। हालांकि, इन लेनदेन को नियामक ने ‘कर्ज से जुड़े लेनदेन’ माना और किसी तरह की धोखाधड़ी नहीं पाई। इसके अलावा, अगर अदाणी समूह से जुड़े लेनदेन को छोड़ दिया जाए तो एडिकॉर्प के बैंक लेनदेन लगभग नगण्य थे। इस आधार पर सेबी ने साफ कहा कि आरोपित कंपनियों और अदाणी समूह के बीच हुए सौदे कानून के दायरे में हैं।
हिंडनबर्ग विवाद ने भारतीय कॉरपोरेट जगत और बाजार निवेशकों में भारी हलचल मचाई थी। लेकिन SEBI की क्लीन चिट से यह अध्याय अब समाप्त होता दिख रहा है। यह फैसला अदाणी समूह के लिए राहत लेकर आया है साथ ही निवेशकों के भरोसे को भी मजबूत करता है। साथ ही यह संदेश भी देता है कि भारत का नियामक ढांचा पारदर्शी है और ठोस सबूतों के बिना किसी कंपनी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।